क्रिकेट में भारत-पाक का 25 साल याराना,फिर दुश्मन कैसे बने? रहा,.
BCCI ने शोएब अख्तर का करियर बचाया,
भारत और पाकिस्तान मैच का नाम सुनकर अगर आप सोचते हैं- मौका-मौका? टूटती हुई टीवी? खिलाड़ियों के घर पर पत्थर फेंका जाना? आपका जवाब हां है तो आप बिल्कुल सही हैं।
यह भी सच है कि दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड में करीब 25 साल तक नंबर-1 यारी रही है। यारी ऐसी कि जब शोएब अख्तर का करियर खतरे में पड़ा तो भारत ने उन्हें बचाया। आइए इस पूरी कहानी को शुरू से शुरू करते हैं।
उस शख्स ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया जो भारत के खिलाफ जंग लड़ चुका था
क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान की दोस्ती की असल शुरुआत हुई थी 26 जून 1983 को लंदन में। भारत के पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनने के ठीक एक दिन बाद। उस समय के BCCI प्रेसिडेंट एनकेपी साल्वे और PCB प्रेसिडेंट नूर खान लॉर्ड्स में लंच पर मिले।
साल्वे उस समय केंद्रीय मंत्री थे। नूर खान पाकिस्तान के रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल थे। वे 1965 की जंग में भारत के खिलाफ लड़े भी थे, लेकिन इन दोनों ने पुरानी दुश्मनी को भुलाते हुए क्रिकेट में साथ आने का फैसला किया। मकसद था इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दबदबे को तोड़ना।
भारत-पाक ने मिलकर पहली बार इंग्लैंड से बाहर कराया वर्ल्ड कप
भारत-पाकिस्तान के साथ आते ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की राजनीति में सत्ता का समीकरण बदलने लगा। 1987 में होने वाले वर्ल्ड कप की संयुक्त मेजबानी भारत और पाकिस्तान को मिली।
पहली बार वर्ल्ड कप इंग्लैंड के बाहर हुआ। यह सब तब हो रहा था जब दोनों देशों के संबंध लगातार खराब ही हो रहे थे। फिर भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हर जरूरत के वक्त भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे का साथ दिया।
PCB ने लगभग तमाम मौकों पर BCCI के पक्ष में वोट दिया। फिर श्रीलंका, वेस्टइंडीज, जिम्बाब्वे भी भारत के खेमे में आ गए। यहां से ICC में भारत का दबदबा भी बढ़ने लगा। भारत और पाकिस्तान ने 1996 वर्ल्ड कप की मेजबानी भी हासिल की।
वर्ल्ड कप से पहले भारत-पाक ने बनाई थी ज्वाइंट टीम
1996 वर्ल्ड कप की मेजबानी भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने मिलकर की थी। ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज की टीमों ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर श्रीलंका जाने से इनकार किया। तब दुनिया को यह भरोसा दिलाने के लिए कि श्रीलंका सुरक्षित जगह है मेजबनों ने अनूठा कदम उठाया था। भारत और पाकिस्तान की एक ज्वाइंट टीम बनाई गई जिसने श्रीलंका का दौरा किया। प्रदर्शनी मैच में भारत-पाकिस्तान की ज्वाइंट टीम ने श्रीलंका को हराया भी। श्रीलंका उस वर्ल्ड कप में चैंपियन बना था।
दोनों ने मिलकर बांग्लादेश को टेस्ट प्लेइंग नेशन का दर्जा दिलाया
साल 2000 में बांग्लादेश को टेस्ट प्लेइंग नेशन का दर्जा दिलाया। जब भी दोनों देशों के खिलाड़ियों के एक्शन पर सवाल उठे तो भारत के बोर्ड ने पाकिस्तान का और पाकिस्तान के बोर्ड ने भारत का साथ दिया।
शोएब अख्तर के करियर बचाने की बात को पाकिस्तान ने स्वीकार किया था
PCB के पूर्व प्रेसिडेंट लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) तौकीर जिया ने खुले आम स्वीकार किया था कि शोएब अख्तर का करियर जगमोहन डालमिया ने बचाया था। 1999 में अख्तर के एक्शन पर सवाल उठ गए थे। तब डालमिया ICC के प्रेसिडेंट थे। उन्होंने अख्तर को डिफेंड करने में PCB की मदद की थी।
ये दोस्त 2008 में दुश्मन बन गए
भारत और पाकिस्तान की ICC में दोस्ती पर ब्रेक 2008 में लगा। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने मुंबई में 26/11 का हमला कर दिया। इसके बाद बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट संबंध तोड़ लिए। कुछ समय बाद ICC में भी दोनों देशों का साथ धीरे-धीरे छूटता गया।
इसका नुकसान पाकिस्तान को ही हुआ। 2009 में लाहौर में श्रीलंका की टम पर हुए आतंकी हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय टीमों ने पाकिस्तान का दौरा करना बंद कर दिया। पाकिस्तान को 2011 वर्ल्ड कप की मेजबानी भी गंवानी पड़ी। अब जबकि पाकिस्तान दोबारा अपने देश में क्रिकेट आयोजन की कोशिश कर रहा है तो न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसी टीमों ने वहां खेलने से इनकार कर दिया है।
पाकिस्तान आतंक बंद करो, क्रिकेट में आगे बढ़ो
एक बार फिर पाकिस्तान की क्रिकेट को भारत की जरूरत है। भारत का एक ही स्टैंड है आतंकवाद और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकते। अब यह पाकिस्तान को ही तय करना है कि क्रिकेट में भारत के साथ दोस्ती फिर शुरू कैसे करे। समाधान एक ही है। आतंक बंद करो, क्रिकेट में आगे बढ़ो।
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