यूएनएचआरसी में पाकिस्तान के होश उड़े, भारत ने यूँ खोल दी पोल
कश्मीर मुद्दे को UNHRC में लेकर जाना पाकिस्तान पर भारी पड़ गया। भारत(India) के खिलाफ कश्मीर मुद्दे(Kashmir Issue) पर पाकिस्तान ने मंगलवार को जो डोजियर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) को दिया था, उसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी है। भारत की ओर से पहले विदेश मंत्रालय की सचिव (ईस्ट) विजय ठाकुर सिंह और बाद में UNHRC के लिए भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान के तर्कों का जवाब दिया।
पाकिस्तान(Pakistan) द्वारा लगाए आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए भारत ने तर्क दिया कि आर्टिकल 370 को लेकर भारत द्वारा अपने संवैधानिक ढांचे के अनुरूप ही फैसला लिया गया है। भारत ने अनुच्छेद 370(Article370) पर संसद द्वारा पारित अन्य विधानों की तरह ही भारतीय संसद द्वारा एक पूर्ण बहस के बाद लिया गया। इसे व्यापक तौर पर समर्थन भी मिला। इसके बाद भारत ने कश्मीर(Kashmir) को आंतरिक मसला बताते हुए कोई बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार करने से मना कर दिया। वहीँ पाकिस्तान द्वारा भारत पर मानवाधिकारों का हनन करने के आरोपों के जवाब में पाकिस्तान पर ही उंगली उठा दी गई। भारत ने कहा कि पाकिस्तान पीड़ित बनने का ड्रामा कर रहा है, जबकि वास्तव में वह खुद मानवाधिकारों(Human Rights) के हनन का अपराधी है। पाकिस्तान दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों पर बोलने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि वे अपने ही देश में उन्हें रौंद रहे हैं, वे पीड़ित की तरह रो रहे हैं, जबकि वास्तव में वे अपराधी हैं। हमें उन लोगों पर लगाम कसनी चाहिए, जो मानवाधिकारों की आड़ में दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडों के लिए इस मंच का दुरुपयोग कर रहे हैं।
पाकिस्तान को पड़ी लताड़
इसके बाद मानवाधिकार और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को निशाना बनाते हुए भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद के विश्वसनीय खतरों का सामना करने में हमारे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अस्थायी निवारक और एहतियाती उपायों की जरूरत थी। पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है और वह वैकल्पिक कूटनीति के तौर पर सीमा पार आतंकवाद का संचालन करता है। जो लोग क्षेत्र में किसी भी रूप में आतंकवाद को बढ़ावा देने व वित्तीय तौर पर इसका समर्थन करते हैं, वास्तव में वही मानव अधिकारों के सबसे बड़े हननकर्ता हैं। भारत मानवधिकारों को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने में दृढ़ता से विश्वास करता है। कश्मीरी नागरिको और शरणार्थियों के मानवाधिकारों की बात करते हुए भारत ने तर्क दिया कि इस फैसले से संपत्ति पर अधिकार और स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व समेत लैंगिक भेदभाव का अंत होगा, बाल अधिकारों का बेहतर संरक्षण होगा। साथ ही घरेलू हिंसा के खिलाफ संरक्षण मिलेगा। शिक्षा, सूचना और काम का अधिकार कानून लागू होगा और शरणार्थियों और वंचितों के खिलाफ भेदभाव समाप्त होगा। भारत ने कानून में बदलाव की जानकारी देते हुए UNHRC को बताया कि इन बदलावों का कश्मीर में सकारात्मक बदलाव आएगा।