अगर हुआ भारत-पाकिस्तान युद्ध, शेयर मार्केट का क्या होगा हाल ? कोनसे सेक्टर पर पड़ेगा प्रभाव ? जानिए सबकुछ

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने एक बार फिर शेयर बाजार की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे हालात में आम निवेशक के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि अगर हालात बिगड़े तो शेयर बाजार का क्या होगा? क्या पैसे डूब जाएंगे या फिर कोई मौका भी बन सकता है? आइए इसे विस्तार से और आसान भाषा में समझते हैं।
कारगिल युद्ध के समय बाजार का क्या हाल था?
1999 में जब कारगिल युद्ध हुआ था, तब शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई थी। उस समय बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स करीब 12% तक गिर गया था। युद्ध के दौरान निवेशकों में डर फैल गया था, क्योंकि अनिश्चितता किसी भी बाजार का सबसे बड़ा दुश्मन होती है। लेकिन जैसे-जैसे हालात सामान्य हुए, बाजार ने खुद को संभाल लिया और दोबारा मजबूती दिखाई।
आज के हालात क्यों अलग हैं?
आज भारत की आर्थिक स्थिति 1999 की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत है। विदेशी मुद्रा भंडार, आर्थिक विकास दर, और बाजार में निवेशकों का भरोसा पहले से बेहतर है। लेकिन अगर हालात बहुत ज्यादा बिगड़ते हैं, तो बाजार में अस्थाई गिरावट आ सकती है। फिर भी लंबे समय के निवेशकों के लिए घबराने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इतिहास गवाह है कि बाजार समय के साथ रिकवर कर लेता है।
आम निवेशक को क्या करना चाहिए?
- घबराएं नहीं: तनाव के समय बाजार में गिरावट स्वाभाविक है, लेकिन यह स्थायी नहीं होती।
- अच्छी कंपनियों पर ध्यान दें: मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों के शेयर लंबे समय में अच्छा रिटर्न देते हैं।
- निवेश जारी रखें: SIP (Systematic Investment Plan) जैसे निवेश साधनों को जारी रखें, क्योंकि गिरते बाजार में भी निवेश करने से भविष्य में अच्छा फायदा हो सकता है।
- इमरजेंसी फंड तैयार रखें: अगर तुरंत पैसों की जरूरत हो, तो बाजार से निकासी करने की नौबत न आए।
युद्ध की आशंका में कौन से सेक्टर प्रभावित होंगे?
अगर तनाव बढ़ता है तो सबसे ज्यादा असर इन सेक्टर्स पर पड़ सकता है:
- बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर: जोखिम बढ़ने से लोन देने में सख्ती आ सकती है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट: निवेश और बड़े प्रोजेक्ट धीमे पड़ सकते हैं।
- आईटी और फार्मा सेक्टर: ये सेक्टर तुलनात्मक रूप से सुरक्षित माने जाते हैं और इनमें गिरावट कम हो सकती है।
लंबी अवधि के नजरिए से बाजार का भविष्य
इतिहास बताता है कि युद्ध जैसे हालातों के बाद भी भारतीय शेयर बाजार ने हमेशा रिकवरी की है और नए रिकॉर्ड बनाए हैं। उदाहरण के तौर पर, कारगिल युद्ध के कुछ सालों बाद भारतीय बाजार ने तेजी से उछाल देखा।
इसलिए अगर आपका निवेश का लक्ष्य लंबा है (5-10 साल या उससे ज्यादा), तो मौजूदा गिरावट को डरने की बजाय निवेश का अवसर समझना चाहिए।
चिंता का विषय नही
भारत-पाक तनाव के बीच शेयर बाजार में अस्थिरता आना लाजमी है, लेकिन लंबे समय के निवेशक के लिए यह चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। समझदारी से निवेश रणनीति को बनाए रखें, घबराकर फैसले न लें और मजबूत कंपनियों में विश्वास बनाए रखें।