भारत ने आयोजित किया तीसरा ग्लोबल साउथ समिट: आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ एकजुटता की बात की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिट के दौरान एक 'ग्लोबल डेवलपमेंट कॉम्पैक्ट' की पेशकश की, जिसका उद्देश्य सतत विकास को बढ़ावा देना है बिना विकासशील देशों पर कर्ज का बोझ डाले।

 

भारत ने हाल ही में तीसरे ग्लोबल साउथ समिट की मेज़बानी की, जिसमें वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच एकजुटता और सहयोग पर जोर दिया गया। इस सम्मेलन ने आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ एकजुट होने के महत्व पर बल दिया और खाद्य, ऊर्जा, और स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिट के दौरान एक ‘ग्लोबल डेवलपमेंट कॉम्पैक्ट’ की पेशकश की, जिसका उद्देश्य सतत विकास को बढ़ावा देना है बिना विकासशील देशों पर कर्ज का बोझ डाले। इस प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से चीन की उधारी प्रथाओं की आलोचना की गई, जो कई विकासशील देशों के लिए एक चिंताजनक मुद्दा रही है।

विशेष बात यह है कि चीन और पाकिस्तान को इस समिट के लिए निमंत्रण नहीं दिया गया, जो भारत की रणनीतिक विदेश नीति का संकेत है। इस चयन ने स्पष्ट रूप से भारत की अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा प्राथमिकताओं को दर्शाया।

सम्मेलन के दौरान, श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय एकता की महत्वता को रेखांकित किया, विशेष रूप से भारत के साथ। उन्होंने श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान भारत के समर्थन के लिए आभार प्रकट किया और बताया कि भारत ने संकट की घड़ी में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की।

तीसरा ग्लोबल साउथ समिट वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जहां इन देशों ने अपने विकासात्मक प्राथमिकताओं और स्वायत्तता को स्पष्ट किया। सम्मेलन ने वैश्विक दक्षिण की एकजुटता और साझा विकास लक्ष्यों को उभारने का काम किया, जो आने वाले समय में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और आर्थिक सहयोग को प्रभावित कर सकता है।

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