भारत ट्विटर पर #Blackday मना रहा है , 1947 का दर्द आज भी ज़िंदा है…. जानिए उस दिन का सच !…..
भारत 22 अक्टूबर के दिन को ‘ काला दिवस ‘ के रूप में मना रहा है। ट्विटर पर बहुत से लोग इसके समर्धन में पोस्ट कर रहे है। 22 अक्टूबर 1947 के दिन पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर आक्रमण किया था इसके साथ घाटी में रेप, हिंसा और आतंक फैलाया गया था। 1947 के दिन जम्मू कश्मीर पर हुए आक्रमण का विरोद करते हुए ट्विटर पर लोग अपना आक्रोश दिखा रहे है।
#BlackDay
Thousands of tribesmen, recruited covertly by the Pakistani Army organized into "Lashkars", crossed into Kashmir on 22 Oct 1947, committed atrocities against Kashmiris, engaged in looting, killing & other crimes till they met their nemesis, the Indian Army! pic.twitter.com/NBbxcXYuqv— PRO Udhampur (@proudhampur) October 22, 2020
क्या हुआ था उस दिन ?
22 अक्टूबर, 1947 को, पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने अवैध रूप से जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया और लूटपाट और अत्याचार किए। पाकिस्तानी सेना समर्थित कबायली लोगों के लश्कर (मिलिशिया) ने कुल्हाड़ियों, तलवारों और बंदूकों और हथियारों से लैस होकर कश्मीर पर हमला कर दिया, जहां उन्होंने पुरुषों, बच्चों की हत्या कर दी और महिलाओं को अपना गुलाम बना लिया था।
पाकिस्तानी सैनिकों को थोड़ी-थोड़ी संख्या में भेजा गया था और नियमित सैनिकों को आक्रमणकारियों के साथ मिलाया गया था। 26 अक्टूबर को, आक्रमणकारियों ने बारामूला में प्रवेश किया और दिल दहला देने वाले अत्याचार किया था। भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी ने याद करते हुए कहा, “रंग, जाति या पंथ देखे बिना युवा महिलाओं का अपहरण कर लिया गया. प्रत्येक हमलावर ने अधिक से अधिक धन या लड़कियों को हथियाने की कोशिश की। ”
अपनी सुरक्षा के लिए निवासियों ने अपनी सारी संपत्ति पीछे छोड़ दी और पहाड़ियों में शरण ली. सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था, केवल लश्करों के कदम की आवाज आ रही थी, वे चारों ओर बिखरी लाशों के बीच अपना रास्ता बनाते हुए आगे बढ़े जा रहे थे। बारामूला को बर्बर पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया और लूट लिया।
जम्मू-कश्मीर की रियासत पर नवगठित पाकिस्तानी सेना के सैनिकों द्वारा समर्थित कबायली हमलावरों का हमला हुआ था। अत्याचारों के साक्षी, महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद की अपील की और कश्मीर को औपचारिक रूप से भारत को सौंप दिया। 27 अक्टूबर, 1947 को भारतीय सेना की पहली इन्फैंट्री टुकड़ी पहुंची। 1 सिख की टुकड़ी श्रीनगर एयरफील्ड पर उतरी और कश्मीर को घुसपैठियों से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ी।