कोरोना के 30 लाख क्लब में भारत !
PM मोदी ने कहा था, “कोरोना के मामले में दूसरे देशों के मुक़ाबले हमारे हालात बेहतर है !” उनका इशारा अमेरिका और ब्राजील की तरह था। लेकिन अब अमेरिका और ब्राजील की तुलना में भारत में कोरोना तेजी से फैल रहा है। ये सच है कि पहले दस लाख केस तक कोरोना की रफ़्तार अमेरिका और ब्राजील से स्लो थी। पर दस से बीस लाख केस पहुँचने में भारत की रफ़्तार ज़्यादा है। 20 से 30 लाख का आँकड़ा पार करने में भारत को महज़ दो हफ़्ते का वक़्त लगा। कोरोना केस के 30 लाख क्लब में तीन देश है- अमेरिका, ब्राजील और भारत। उन दोनो देशों की तुलना में भारत में कोरोना का प्रकोप लगातार जारी है।
भारत के पहले दस लाख केसों के अधिकतर मामले महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात तमिलनाडु और मध्य प्रदेश से आए थे। जबकि दूसरे और तीसरे दस लाख मामले उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल आदि राज्यों के बड़ते केस के कारण है। नॉर्थ ईस्ट को छोड़कर अब लगभग हर राज्य कोरोना के चपेट में है।
भारत को एक करोड़ टेस्टिंग तक पहुंचने में करीब छह महीने लग गए। अब तक तीन करोड़ पचास लाख टेस्टिंग हो चुकी है। आबादी के हिसाब से, भारत अभी भी टेस्टिंग में नीचे है। टेस्टिंग के मामले में टॉप 10 देशों में केवल मैक्सिको भारत से पीछे है।
अब तक सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, बार-बार हाथ धोना जैसे एहतियाती क़दम को सरकार रणनीति बता कर पेश करती रही। और वास्तविक रणनीति “टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेशन, PPT किट” पर ध्यान कम दिया। यहाँ तक कि “ताली-थाली” को रणनीति का हिस्सा बना डाला। सच तो ये है कि सरकार के पास कभी “प्लान बी” था ही नहीं ! सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है। अभी तक नुक़सान का सही से आँकलन नहीं किया गया है। GDP का आँकड़ा हर समस्या का जवाब नहीं हो सकता है। आर्थिक नुक़सान से ज़्यादा सामाजिक ताने-बाने पर असर हुआ है। जिसको नापने का कोई पैमाना नहीं है।