क्यों भारत के लिए ये इतना खास? अमेरिका क्यों जता रहा है आपत्ति?
भारत को मिलना शुरू हुआ रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम;
भारत को रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी शुरू हो गई है। इस साल के अंत तक इस सिस्टम का पहला रेजीमेंट पूरी तरह डिलीवर हो सकता है। दुनिया के सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम माने जाने वाले S-400 से हवा में भारत की ताकत अभेद्य हो जाएगी। ये सिस्टम 400 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन की मिसाइल, ड्रोन और एयरक्राफ्ट पर हवा में ही हमला कर सकता है।
भारत के लिए ये डिफेंस सिस्टम कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका भी इस सौदे पर आपत्ति जता चुका है।
समझते हैं, S-400 डिफेंस सिस्टम क्या है? इसकी क्या खासियत है? ये काम कैसे करता है? भारत को पूरी तरह कब तक मिल सकता है? और भारत रूस की इस डील पर अमेरिका को क्या ऐतराज है?…
सबसे पहले समझिए S-400 सिस्टम क्या है?
S-400 एक एयर डिफेंस सिस्टम है, यानी ये हवा के जरिए हो रहे अटैक को रोकता है। ये दुश्मन देशों के मिसाइल, ड्रोन, राकेट लॉन्चर और फाइटर जेट्स के हमले को रोकने में कारगर है। इसे रूस के एलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है और दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है। भारत और रूस के बीच S-400 की 5 यूनिट के लिए 2018 में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की डील हुई थी।
इस सिस्टम की खासियत क्या है?
S-400 की सबसे बड़ी खासियत इसका मोबाइल होना है। यानी रोड के जरिए इसे कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है।इसमें 92N6E इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयर्ड फेज्ड ऐरो रडार लगा हुआ है जो करीब 600 किलोमीटर की दूरी से ही मल्टिपल टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है।ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ये ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है।S-400 की एक यूनिट से एक साथ 160 ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है। एक टारगेट के लिए 2 मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं।S-400 में 400 इस सिस्टम की रेंज को दर्शाता है। भारत को जो सिस्टम मिल रहा है, उसकी रेंज 400 किलोमीटर है। यानी ये 400 किलोमीटर दूर से ही अपने टारगेट को डिटेक्ट कर काउंटर अटैक कर सकता है। साथ ही यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी अपने टारगेट पर अटैक कर सकता है।
इस सिस्टम में क्या-क्या शामिल है?
डिफेंस सिस्टम की हर यूनिट में एक कमांड और कंट्रोल सिस्टम, एक सर्विलांस रडार, एक गाइडेंस रडार और ट्रांसपोर्ट इरेक्टर लॉन्चर शामिल होता है।
साथ ही सिस्टम में अलग-अलग रेंज की 4 मिसाइल भी हैं – शोर्ट रेंज, मीडियम रेंज, लॉन्ग रेंज और वेरी लॉन्ग रेंज। ये 40 किलोमीटर से लेकर 400 किलोमीटर की दूरी तक काउंटर अटैक कर सकती हैं। भारत रूस से 400 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइल खरीद रहा है, जिसे 40N6E कहा जाता है। वेरी लॉन्ग रेंज की मिसाइल 400 किलोमीटर की दूरी के साथ-साथ 180 किलोमीटर की ऊंचाई तक भी हमला कर सकती है।
ये सिस्टम काम कैसे करता है?
डिफेंस सिस्टम में सर्विलांस रडार होता है, जो अपने ऑपरेशनल एरिया के इर्द-गिर्द एक सुरक्षा घेरा बना लेता है। जैसे ही इस घेरे में कोई मिसाइल या दूसरा वेपन एंटर करता है, रडार उसे डिटेक्ट कर लेता है और कमांड व्हीकल को अलर्ट भेजता है। अलर्ट मिलते ही गाइडेंस रडार टार्गेट की पोजिशन पता कर काउंटर अटैक के लिए मिसाइल लॉन्च करता है।
भारत को कब तक मिल सकता है सिस्टम?
भारत को S-400 सिस्टम मिलना शुरू हो चुका है। मिलिट्री-टेक्नीकल कोऑपरेशन के लिए रूस की फेडरल एजेंसी के डायरेक्टर दमित्री शुगैव ने दुबई में कहा है कि रूस ने भारत को S-400 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि पहले रेजिमेंट सेट के सभी आइटम 2021 के आखिर तक भारत पहुंचा दिए जाएंगे। नए साल के शुरुआती महीनों में ही हमारे विशेषज्ञ भारत जाएंगे और भारत को डिफेंस सिस्टम ट्रांसफर करेंगे।
भारत ने अक्टूबर 2018 में 5 यूनिट के लिए ऑर्डर दिया था। ऑर्डन देने के 24 महीने के भीतर ही डिलीवरी होनी थी, लेकिन किसी वजह से ये लेट हो गई। उम्मीद है कि अप्रैल 2023 तक पांचों यूनिट पूरी तरह डिलीवर हो जाएगी।
अमेरिका के पैट्रियट सिस्टम से कितना बेहतर?
अमेरिका के पास पैट्रियट मिसाइल सिस्टम है, जिसे बेहद ताकतवर माना जाता है, लेकिन कई पैमानों पर S-400 उससे भी बेहतर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पैट्रियट सिस्टम की तैनाती में 25 मिनट का समय लगता है वहीं, S-400 को 6 मिनट के भीतर तैनात किया जा सकता है। साथ ही लॉन्चिंग स्पीड के लिहाज से भी रूसी S-400 अमेरिकी पैट्रियट से बेहतर है। पैट्रियट की लॉन्चिंग स्पीड 1.38 किलोमीटर/सेकंड है वहीं, S-400 की 4.8 किलोमीटर/सेकंड है। साथ ही S-400 पैट्रियट से सस्ता भी है।
भारत-रूस की इस डील से अमेरिका क्यों नाखुश?
रूस से मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू होने की खबरों के बाद ही भारत पर अमेरिका का प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, अमेरिका S-400 की खरीदी का हमेशा से विरोध करता रहा है और इस सिस्टम को खरीदने वाले देशों पर वो पाबंदी लगा देता है। अमेरिका ने पिछले साल तुर्की पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। तुर्की ने भी रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदा है।
चीन के पास पहले से ही 6 S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है। इनमें से दो की तैनाती वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC के पास कर रखी है।
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