ग्लोबल खाद्य सुरक्षा के प्रति भारत प्रतिबद्ध – पीएम नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली। खाद्य एवं कृषि संगठन की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 75 रुपये का स्मृति सिक्का जारी किया। इसके साथ ही उन्होंने हाल ही में विकसित की गई 8 फसलों की 17 जैव संवर्धित किस्मों को भी राष्ट्र को समर्पित किया। इस मौके पर मोदी ने सभी को विश्व खाद्य दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा, दुनियाभर में जो लोग कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, मैं उन्हें भी बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत में निरंतर ऐसे रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं जो ग्लोबल खाद्य सुरक्षा के प्रति प्रदिबद्ध हैं। खेती-किसान को सशक्त करने से लेकर भारत के पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम तक में एक के बाद एक सुधार किए जा रहे हैं। किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम एमएसपी के रूप में मिले, इसके लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। एमएसपी और सरकारी खरीद, देश की फूड सिक्योरिटी का अहम हिस्सा है। इसलिए इनका जारी रहना स्वभाविक है।
उन्होंने कहा कि छोटे किसानों को ताकत देने के लिए, फार्मर प्रोड्यूसर ऑरगेनाइजेशन (एफपीओ) का एक बड़ा नेटवर्क देश में तैयार किया जा रहा है। भारत में अनाज की बर्बादी हमेशा से बहुत बड़ी समस्या रही है। अब जब आवश्यक वस्तुएं अधिनियनम में संशोधन किया गया है तो इससे स्थितियां बदलेंगी।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के हमारे किसान साथी- हमारे अ न्नदाता, हमारे कृषि वैज्ञानिक, हमारे आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का आधार हैं। इन्होंने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर, गरीब से गरीब तक पहुंचने में ये सरकार की मदद भी कर रहे हैं। बीते कुछ महीनों में पूरे विश्व में कोरोना संकट के दौरान भुखमरी-कुपोषण को लेकर अनेक तरह की चर्चाएं हो रही हैं। बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स अपनी चिंताएं जता रहे हैं कि क्या होगा, कैसे होगा? इन चिंताओं के बीच, भारत पिछले 7-8 महीनों से लगभग 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन उपलब्ध करा रहा है।
साल 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलट घोषित करने के प्रस्ताव के पीछे भी कुछ इसी तरह की भावना है। इससे भारत ही नहीं विश्व भर को दो बड़े फायदे होंगे। पौष्टिक आहार प्रोत्साहित होंगे, उनकी उपलब्धता और बढ़ेगी। और दूसरा- जो छोटे किसान होते हैं, जिनके पास कम जमीन होती है, उन्हें बहुत लाभ होगा।