Sansad के गेट पर अडानी विवाद को लेकर INDIA गठबंधन का विरोध

Sansad सत्र के संचालन के बीच विपक्षी दलों ने अडानी मामले पर सरकार की चुप्पी को लेकर संसद भवन के मेन गेट, मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया।

3 दिसंबर 2024 को, Sansad सत्र के संचालन के बीच विपक्षी दलों ने अडानी मामले पर सरकार की चुप्पी को लेकर संसद भवन के मेन गेट, मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया, हालांकि तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (SP) इस विरोध में शामिल नहीं हुए। विरोध का मुख्य मुद्दा अडानी समूह पर लगे आरोपों और सरकार के इस पर मौन रहने को लेकर था। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार से जवाब मांगा।

Sansad के कामकाज को जारी रखने पर विपक्ष की सहमति

विरोध प्रदर्शन के बावजूद, विपक्षी दलों ने Sansad के अंदर कामकाज को जारी रखने की सहमति दी थी। विपक्ष ने इस समझौते के तहत प्रदर्शन को बाहर ले जाने का निर्णय लिया, ताकि संसद की कार्यवाही बाधित न हो। कांग्रेस पार्टी ने अन्य विपक्षी दलों को इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था और यह सुनिश्चित किया कि वे संसद में चर्चा जारी रखें।

INDIA गठबंधन की रणनीति

हालांकि तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इस विरोध में शामिल नहीं हुईं, लेकिन कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों को इस आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। यह विरोध प्रदर्शन अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों और भारत सरकार की चुप्पी पर केंद्रित था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार को इस मामले में जवाब देना चाहिए और इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

विपक्ष का विरोध और सरकार की प्रतिक्रिया

अदानी मामले में विपक्ष के विरोध ने संसद में सरकार के खिलाफ एक नई राजनीतिक बयार शुरू कर दी है। विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार अडानी मामले में बुरी तरह चुप है और इसे लेकर सख्त जवाब दिया जाना चाहिए। हालांकि, सरकार ने इस मामले में किसी भी प्रकार के आरोपों से इंकार किया और दावा किया कि इस मामले में कोई कानूनी आधार नहीं है।

1991 में ‘LTTE लिंक’ के आरोप का उपयोग करके DMK सरकार को बर्खास्त किया गया

Sansad भारत में राजनीति के घटनाक्रम में यह विरोध प्रदर्शन महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह विपक्षी दलों के एकजुट होने और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतीक था। हालांकि तृणमूल और समाजवादी पार्टी का इसमें शामिल न होना एक दिलचस्प मोड़ था, लेकिन विपक्ष ने एकजुट होकर सरकार को घेरने का प्रयास किया। यह प्रदर्शन विपक्षी दलों के लिए अडानी मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग को और तेज करने का एक तरीका बन गया।

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