IND-CHINA पांच साल में पहली बार पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच होगी द्विपक्षीय वार्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को कज़ान, रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक होगी।
IND-CHINA मोदी और जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक
IND-CHINA बैठक का महत्व
IND-CHINA प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को कज़ान, रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक होगी। यह दोनों नेताओं के बीच पिछले पांच वर्षों में पहली औपचारिक मुलाकात है, जो भारत-चीन संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
IND-CHINA विदेश सचिव की पुष्टि
IND-CHINA -मंगलवार शाम को कज़ान में आयोजित एक प्रेस वार्ता में, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बैठक की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि यह मुलाकात ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर होगी, जिससे यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच संवाद को आगे बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
समय की जानकारी
हालांकि, विदेश सचिव ने इस बैठक के समय की पुष्टि नहीं की, लेकिन उन्होंने बताया कि इसे जल्द ही निर्धारित किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच वार्ता का एक निश्चित कार्यक्रम होगा।
IND-CHINA संबंधों का संदर्भ
IND-CHINA के संबंधों में हाल के वर्षों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, विशेषकर सीमाई विवादों और अन्य राजनीतिक मुद्दों के कारण। इस बैठक को दोनों देशों के बीच सामंजस्य स्थापित करने और आपसी मुद्दों पर चर्चा करने का एक अवसर माना जा रहा है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का महत्व
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत, रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के नेता शामिल होंगे। इस बैठक में वैश्विक आर्थिक स्थिति, सुरक्षा मुद्दे और विकास के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की जाएगी। भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय बातचीत इस संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
संभावित मुद्दे
बैठक के दौरान, कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है, जैसे कि:
- सीमाई विवाद: भारत-चीन सीमा पर चल रहे विवादों का समाधान।
- व्यापारिक संबंध: व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के उपाय।
- वैश्विक सुरक्षा: वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद पर सहयोग।
- जलवायु परिवर्तन: पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर सामूहिक प्रयास।
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मोदी और जिनपिंग के बीच यह द्विपक्षीय बैठक एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत-चीन संबंधों को सुधारने और संवाद को बढ़ावा देने में सहायक हो सकती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह बैठक वास्तविक प्रगति लाने में सफल होती है या नहीं। दोनों देशों के बीच संवाद की आवश्यकता आज के वैश्विक संदर्भ में पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।