दो दशकों में बाल श्रमिकों की संख्या बढ़कर करीब 16 करोड़
नयी दिल्ली विश्व भर में जहां पिछले दो दशकों में बाल श्रमिकों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ लाख हो गयी है वहीं गत चार सालों में ही इनकी संख्या 84 लाख बढ़ी है।
शनिवार को वर्ल्ड डे अगेंस चाइल्ड लेबर के मौके पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और यूनिसेफ की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 2000 और 2016 के अंतराल में बाल श्रमिकों की संख्या में 94 लाख की गिरावट आयी थी , लेकिन बाद के वर्षों में लगातार बढ़ोतरी हुई और यह क्रम अभी भी जारी है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक कोरोना काल में 2022 के अंत तक 90 लाख अतिरिक्त बच्चे बाल श्रमिक बन सकते हैं। अनुमान यह भी जताया गया है कि सामाजिक सुरक्षा सुलभ नहीं होने की स्थिति में यह संख्या 460 लाख तक पहुंच सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक बाल श्रम के क्षेत्र में पांच से 11 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है , जो कुल वैश्विक आंकड़ों के आधे से अधिक है। इनमें कृषि क्षेत्र में 70 फीसदी , सेवाओं में 20 फीसदी और उद्योग क्षेत्र में 10 फीसदी बाल श्रमिक हैं। बाल श्रम में प्रत्येक आयुवर्ग में लड़कियों की तुलना में लड़कों की संख्या अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों (14 फीसदी) में बाल श्रम की व्यापकता शहरी क्षेत्रों (पांच फीसदी) की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है।