दूसरी लहर में कोरोना रोधी वैक्सीनेशन ने कम कर दी मौत की रफ्तार, जानें आंकड़ों ने बताए सच
नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus In India) की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं. हालांकि टीकाकरण (Anti Covid Vaccination) की मदद से इस पर काफी नियंत्रण पाया गया. स्वास्थ्य मंत्रालय (Mohfw) के आंकड़ों से पता चलता है कि महामारी की दूसरी लहर के पहले सात हफ्तों में, 60 से अधिक आयु वर्ग के नॉन वैक्सीनेटेड लोगों के बीच के बीच हर 10 लाख लोगों पर औसतन 121 साप्ताहिक मौतें हुईं. जबकि जिन लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिली थी उसमें प्रति 10 लाख लोगों पर औसतन 2.6 साप्ताहिक मौतें और जो फुली वैक्सीनेटेड थे उनमें प्रति 10 लाख पर औसतन 1.76 साप्ताहिक मौतें हुईं.
एक वैक्सीन ट्रैकर के लिए इकट्ठा किए गए यह डेटा इसलिए अहम हो गए हैं क्योंकि विशेषज्ञों ने अक्टूबर में त्योहारी सीजन होने की वजह से कोरोना के मामलों में उछाल की आशंका जताई है. उधर, 60 से अधिक उम्र वालों में भी कम से कम 24 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक टीकाकरण नहीं कराया है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक 60 साल और उससे अधिक उम्र के 10.09 करोड़ लोगों को पहली खुराक मिल चुकी है और 5.58 करोड़ लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है. बीते 9 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के टीकाकरण अभियान का पहला रीयल-टाइम डेटा जारी किया. इसमें गंभीर बीमारी और मौतों को रोकने में लगभग पूरा असर दिखा. चार महीने (18 अप्रैल से 15 अगस्त) के आंकड़ों से पता चला है कि पहली खुराक के बाद मौतों को रोकने में टीके का असर 96.6 प्रतिशत और दूसरी खुराक के बाद 97.5 प्रतिशत था. इस दौरान कुल 2,52,873 मौतें हुईं.
18 अप्रैल और 30 मई को खत्म हुए हफ्तों के क्या हैं आंकड़े?
18 अप्रैल और 30 मई को समाप्त होने वाले हफ्तों के बीच, 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के नॉन वैक्सीनेटेड लोगों में प्रति लाख पर औसतन 121.21 साप्ताहिक मौतें हुईं. पहली खुराक पाने वालों में यह आंकड़ा गिरकर 2.64 और फुल वैक्सीनेटेड लोगों में और कम हो कर प्रति 10 लाख पर औसतन 1.76 साप्ताहिक मौतें हुईं. इसी समयावधि में 45-59 वर्ष के आयु वर्ग के नॉन वैक्सीनेटेड लोगों के में प्रति 10 लाख पर औसतन 39.9 साप्ताहिक मौतें हुईं तो वहीं जिन लोगों ने कोरोना रोधी टीके की पहली डोज ले ली थी उनमें यह संख्या 0.87 और जो फुली वैक्सीनेटेड थे उनमें यह संख्या 0.42 थी.
उधर 18-44 वर्ष के आयु वर्ग में नॉन वैक्सीनेटेड लोगों में प्रति 10 लाख पर औसतन 5.6 साप्ताहिक मृत्यु दर थी जबकि पहली खुराक लेने वालों में प्रति 10 लाख पर 0.6 और दूसरी डोज लेने वालों में प्रति 10 लाख पर औसतन 0.1 साप्ताहिक मृत्यु हुई. गौरतलब है कि यह वह दौर था जब देश में कोविड-19 के टीकों की कमी थी और अनुमानित वयस्क आबादी में से केवल 13 फीसदी को ही पहली खुराक मिली थी.
जून की शुरुआत में टीकाकरण अभियान तेज हुआ. 6 जून को खत्म हुए हफ्ते में 15 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक मिल चुकी थी जबकि 15 अगस्त को खत्म हुए हफ्ते में यह 32 फीसदी पर पहुंच गया था.
6 जून से 15 अगस्त तक क्या था हाल?
उधर 6 जून और 15 अगस्त को समाप्त होने वाले हफ्तों के बीच 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के नॉन वैक्सीनेटेड लोगों में प्रति 10 लाख पर औसतनऔसतन 30.04 साप्ताहिक मौतें हुईं. वहीं कोविड रोधी वैक्सीन की पहली खुराक लेने वालों में प्रति 10 लाख पर औसतन 0.46 साप्ताहिक मौतें और फुली वैक्सीनेटेड लोगों में प्रति 10 लाख पर औसतन 0.33 साप्ताहिक मौतें हुईं.
इसी समयावधि में, 45-59 वर्ष आयु वर्ग के नॉन वैक्सीनेटेड लोगों में प्रति 10 लाख पर औसतन 8.41 साप्ताहिक मौतें हुईं वहीं वैक्सीन की 1 डोज लेने वालों में यह आंकड़ा प्रति 10 लाख लोगों पर 0.11 वहीं फुल वैक्सीनेटेड लोगों के लिए यह आंकड़ा प्रति 10 लाख लोगों पर 0.10 था.
उधर 18-44 वर्ष के आयु वर्ग के नॉन वैक्सीनेटेड लोगों में प्रति 10 लाख औसतन 1.08 साप्ताहिक मौतें हुईं. वहीं वैक्सीन की पहली डोज लेने वालों में प्रति 10 लाख पर औसतन 0.02 और फुल वैक्सीनेटेड लोगों में प्रति 10 लाख पर औसतन 0.06 साप्ताहिक मौतें हुईं.