महाराष्ट्र में EVM के साथ बैलेट पेपर से भी होंगे चुनाव, बनने जा रहा कानून
महाराष्ट्र में मतदाताओं को ईवीएम के अलावा बैलेट पेपर से भी वोट देने का विकल्प मिल सकता है और इसके लिए कानून बनाने की कवायद भी शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के विधानसभा स्पीकर नाना पटोले ने मंगलवार को इस संबंध में कानून बनाने का निर्देश दिया है।
नाना पटोले ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने राज्य की विधायिका को मतदाताओं को स्थानीय निकाय चुनावों और राज्य विधानसभा चुनावों में ईवीएम के अलावा बैलट पेपर (मतपत्र) के इस्तेमाल का विकल्प देने के लिए एक कानून बनाने को कहा है।
स्पीकर नाना पटोले के फेसबुक पेज पर जारी एक बयान के अनुसार, नागपुर के रहने वाले प्रदीप उके नामक शख्स ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष इस संबंध में एक आवेदन दिया था और उसी के अनुसार विधान भवन में उसी पर चर्चा के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी।
इस मसले पर हुई बैठक में राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री अमित देशमुख, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी बलदेव सिंह और अन्य लोग भी बैठक के लिए मौजूद थे।
इवीएम से छेड़छाड़ की शिकायतों की ओर इशारा करते हुए समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में नाना पटोले ने कहा, ‘मैंने राज्य सरकर से इस संबंध में एक कानून बनाने को कहा है। राज्य सरकार एक कानून बना सकती है।
अतीत में चुनाव के दौरान संदेह पैदा किया गया था (ईवीएम छेड़छाड़ के बारे में)।’ उन्होंने कहा कि मतदान एक मौलिक अधिकार है और किसी को भी बैलेट पेपर या ईवीएम का उपयोग करके वोट डालने का विकल्प होना चाहिए।
बता दें कि चुनाव में अक्सर ईवीएम से छेड़छाड़ की शिकायतें सामने आती रही हैं। यही वजह है कि महाराष्ट्र में ईवीएम के अलावा, बैलट पेपर का विकल्प देने को लेकर कानून बनाने की कवायद तेज हो चली है।
चुनावों में ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कांग्रेस सहित कई दलों ने चुनाव आयोग से बैलेट पेपर प्रणाली को वापस लेने का आग्रह किया था।
मंगलवार को आवेदक की ओर से अधिवक्ता सतीश उके ने कहा कि यह मतदाताओं का अधिकार है कि उनके पास ईवीएम के साथ-साथ मतपत्र (बैलेट पेपर) के माध्यम से भी वोट डालने का विकल्प हो।
उन्होंने कहा कि ईवीएम या बैलेट पेपर विश्वसनीय हैं या नहीं, यह तय करने के लिए लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए और यह विधायिका की जिम्मेदारी है कि वह सार्वजनिक जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए एक कानून बनाए।