फरवरी में सरकार ने राज्यों से कोयला भंडार बढ़ाने को कहा था, फिर भी छा गया संकट
नई दिल्ली. देश के विभिन्न बिजली संयंत्र इस समय कोयले की कमी (Coal Shortage) से जूझ रहे हैं. कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Prahlad Joshi) ने कहा है कि ताप बिजली संयंत्रों को कोयले (Power Plants) की आपूर्ति मंगलवार को सामूहिक रूप से 20 लाख टन को पार कर गई है. उन्होंने दावा किया कि बिजलीघरों को कोयले (Coal Supply) की आपूर्ति बढ़ाई गई है. वहीं यह बात भी सामने आई है कि सरकार की ओर से फरवरी में ही राज्यों को पत्र भेजकर कोयले का भंडार सुनिश्चित करने को कहा गया था.
रिपोर्ट के अनुसार कोयला मंत्रालय की ओर से 25 फरवरी को ही राज्यों और निजी बिजली संयंत्रों को आवंटन के हिसाब से कोयला उठाने के लिए कहा गया था. एक पत्र में कोयला सचिव अनिल जैन की ओर से इस बात की भी आशंका जताई गई थी कि अगर कोयला नहीं उठाया गया तो कोल इंडिया के भंडार में स्वत: आग भी सुलग सकती है. जैसा कि अमूमन कोयले के भंडार साथ होता है.
इसके बाद ऊर्जा सचिव आलोक कुमार और अतिरिक्त सचिव विवेक कुमार देवगन की ओर से भी महराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के अफसरों को पत्र लिखे गए. इन पत्रों में ऊर्जा की मांग बढ़ने के कारण ईंधन की कमी होने की चेतावनी दी गई. साथ ही कोयला खदानों पर मानसून का प्रभाव भी पड़ने की बात कही गई थी. ऐसे में बिजली संयंत्रों को कोयले के उपयुक्त भंडार की व्यवस्था रखने और कोल इंडिया का बकाया चुकाने के लिए भी कहा गया था, ताकि उन्हें सुचारू रूप से ईंधन की आपूर्ति होती रहे.
कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने खुद 28 सितंबर को महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कोयला वाले राज्यों में भारी बारिश के कारण बिगड़ने वाली स्थिति के बारे में समझाया था. साथ ही दूसरे तरीकों से कोयले की सप्लाई भी किए जाने के लिए आश्वस्त किया था.
हालांकि, संयंत्रों ने कोयले को पर्याप्त रूप से उठाने से इनकार कर दिया क्योंकि ऐसा लगता है कि उन्होंने बिजली की मांग में 12.7% की वृद्धि की उम्मीद नहीं की थी. साथ ही उनके पास कोल इंडिया को देने के लिए पैसा भी नहीं था. उदाहरण के लिए महागेंको ने 15 जून को कोल इंडिया से कोयले की आपूर्ति घटाने के लिए कहा था.