SC का अहम बयान: हेट स्पीच और गलत बयानों के बीच अंतर

SC ने हाल ही में एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान हेट स्पीच और गलत बयानों के बीच फर्क को स्पष्ट किया। याचिका में मांग की गई थी

SC PIL में भड़काने वाले भाषणों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

SC ने हाल ही में एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान हेट स्पीच और गलत बयानों के बीच फर्क को स्पष्ट किया। याचिका में मांग की गई थी कि भड़काऊ भाषणों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जाए, खासकर उन बयानों के खिलाफ जो साम्प्रदायिक उन्माद को बढ़ावा देते हैं और समाज में नफरत फैलाते हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ सार्वजनिक मंचों पर दिए गए भाषणों के कारण समाज में तनाव और हिंसा बढ़ रही है, और ऐसे बयानों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

CJI की टिप्पणी: हेट स्पीच और गलत बयान में फर्क

SC ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि हेट स्पीच और गलत बयानों के बीच अंतर है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने टिप्पणी की कि भड़काऊ भाषणों और सामान्य रूप से दिए गए विवादित बयानों में फर्क करना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी बयान से सार्वजनिक व्यवस्था में खतरा उत्पन्न होता है, तो यह पुलिस और स्थानीय प्रशासन का कर्तव्य है कि वे तुरंत हस्तक्षेप करें और कार्रवाई करें।

CJI ने कहा, “अगर आपको लगता है कि कोई भाषण समाज को भड़काने की कोशिश कर रहा है, तो आप पुलिस से संपर्क करें और इसकी रिपोर्ट दर्ज कराएं।” अदालत ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हर तरह की सक्रियता दिखाने के बजाय स्थानीय अधिकारियों को पहले कार्यवाही करने का निर्देश देगा।

हेट स्पीच पर कड़ी निगरानी की जरूरत

हालांकि, SC ने यह भी माना कि नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन इसे किसी भी प्रकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता। अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उनके विचारों या बयानों की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता, जब तक कि यह सार्वजनिक शांति और सद्भावना के लिए खतरा न बने।

इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे भाषणों पर समय रहते कार्रवाई करें, और यदि किसी भाषण से समाज में द्वेष फैलने का खतरा हो, तो उसे सार्वजनिक स्थानों पर अनुमति न दी जाए।

पुलिस को कार्रवाई के निर्देश

SC ने पुलिस को भी निर्देश दिया कि अगर कोई भड़काऊ भाषण सामने आता है, तो तत्काल कार्रवाई की जाए। CJI ने कहा, “हमें पुलिस की कार्यशैली और इसकी त्वरित प्रतिक्रिया में विश्वास है। अगर यह किसी की सुरक्षा के लिए खतरा बनता है, तो स्थानीय पुलिस और प्रशासन को तुरंत संज्ञान में लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।”

साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रकार के मामलों में न्यायपालिका का हस्तक्षेप तब तक उचित नहीं होता जब तक कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन न करें।

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SC का यह निर्णय हेट स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है, लेकिन यह कार्य पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के माध्यम से ही किया जाएगा। कोर्ट ने हिदायत दी कि किसी भी भाषण को समाज में तनाव और हिंसा का कारण बनने से पहले इसे नियंत्रित किया जाए, और इसके लिए पुलिस को जिम्मेदारी दी गई है।

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