महाभियोग : “धनकड़ को महंगा पड़ा जया बच्चन से निपटना”

महाभियोग (Impeachment) एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसका उपयोग किसी उच्च पद पर आसीन व्यक्ति, जैसे राष्ट्रपति या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, को उनके पद से हटा देने के लिए किया जाता है।

महाभियोग (Impeachment) एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसका उपयोग किसी उच्च पद पर आसीन व्यक्ति, जैसे राष्ट्रपति या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, को उनके पद से हटा देने के लिए किया जाता है। महाभियोग की प्रक्रिया तब शुरू की जाती है जब उक्त व्यक्ति के खिलाफ गंभीर आरोप होते हैं, जैसे संविधान का उल्लंघन या अपराध।

महाभियोग की प्रक्रिया:

  1. आरोपों का प्रस्ताव: महाभियोग का प्रस्ताव किसी सदस्य द्वारा संसद (लोकसभा या राज्यसभा) में प्रस्तुत किया जाता है। इसके लिए प्रस्ताव में गंभीर आरोप और साक्ष्य शामिल होते हैं।
  2. पुष्टि और जांच: प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में दो-तिहाई बहुमत से पास करना होता है। इसके बाद, एक विशेष जांच समिति नियुक्त की जाती है जो आरोपों की जांच करती है।
  3. वोटिंग: जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर, संसद के दोनों सदनों में मतदान होता है। यदि महाभियोग का प्रस्ताव दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास हो जाता है, तो संबंधित व्यक्ति को उनके पद से हटा दिया जाता है।

महाभियोग की घटनाएँ:

भारत में महाभियोग की प्रक्रिया अब तक दो बार लागू की गई है:

  1. डॉ. राधाकृष्णन (1952): भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन यह प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। उन्होंने महाभियोग की प्रक्रिया को चुनौती नहीं दी और इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं हुआ।
  2. जस्टिस वी.आर. कृष्ण अय्यर (1970): भारत के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जस्टिस वी.आर. कृष्ण अय्यर के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन अंततः यह प्रस्ताव दोनों सदनों में बहुमत से पारित नहीं हुआ।

इसके अतिरिक्त, कुछ और महाभियोग प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए गए हैं, लेकिन वे अंतिम रूप से पारित नहीं हुए हैं। महाभियोग की प्रक्रिया अत्यंत जटिल और गंभीर होती है, और इसे सही तरीके से लागू करने के लिए संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का पालन करना आवश्यक होता है।

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