आईएमएफ ने अर्थव्यवस्था पर जो कहा है, उसे सुनकर मोदी सरकार के माथे पर पड़ जाएंगे बल
भारतीय अर्थव्यवस्था(Indian Economy) को लेकर जहाँ केंद्र सरकार जनता को आश्वासन देने में लगी है, वहीँ इस मुद्दे को दुनिया ने चिंताजनक बता दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(International Monetary Fund) ने गुरुवार को भारत की आर्थिक वृद्धि को उम्मीद से ‘काफी कमज़ोर’ बताया है। आईएमएफ(IMF) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए घरेलू मांग के लिए भारत का आर्थिक विकास ‘उम्मीद से कमजोर’ होने के कारण इसके आंकड़ों को 0.3 प्रतिशत घटाकर 7 प्रतिशत पर रखा है।
आईएमएफ ने गुरुवार को कहा कि कॉरपोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता एवं कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि उम्मीद से ‘काफी कमजोर’ है। आईएमएफ प्रवक्ता गेरी राइस ने कहा, ‘हाल के जीडीपी आंकड़े भारत के लिए धीमी आर्थिक विकास का संकेत देते हैं। हमारे पास जल्द ही नए आंकड़े आएंगे। हम नए आंकड़े पेश करेंगे लेकिन खासकर कॉरपोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता एवं कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों के कारण भारत में हालिया आर्थिक वृद्धि उम्मीद से काफी कमजोर है।’ हालांकि आईएमएफ ने यह भी कहा है कि सुस्ती के बावजूद चीन से विकास के मामले में भारत आगे रहेगा और दुनिया की सबसे तेज विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना रहेगा।
आईएमएफ ने दिया था संकेत
गौरतलब है कि आईएमएफ ने जुलाई में 2019 और 2020 के लिए धीमे विकास दर का अनुमान लगाया था। आईएमएफ ने कहा था कि इन दोनों सालों में भारत की आर्थिक विकास दर में 0.3 फीसदी गिरावट होगी और 2019 में भारत की विकास दर 7 प्रतिशत और 2020 में 7.5 प्रतिशत रहेगी। लेकिन अब इसे घटाकर 7.2 फीसदी तक बताई जा रही है। और सरकारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से जून तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर सात साल के निचले स्तर 5 फीसदी तक पहुंच गई है। वहीँ भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आर्थिक विकास दर में गिरावट मैन्युफैक्चरिंग और कृषि के क्षेत्र में कमी की वजह से आई है।