Pankaja Munde का विरोध: ‘बतेेंगे तो कटेंगे’ नारे को महाराष्ट्र में लाने की जरूरत नहीं

Pankaja मुंडे का कहना है कि इस तरह के नारों की महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं है और उनका राजनीति में विश्वास केवल विकास पर आधारित है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए विवादास्पद ‘बतेेंगे तो कटेंगे’ (अगर हम बोलेंगे तो हम काटे जाएंगे) नारे पर भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने विरोध जताया है। Pankaja मुंडे का कहना है कि इस तरह के नारों की महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं है और उनका राजनीति में विश्वास केवल विकास पर आधारित है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस नारे का समर्थन नहीं करेंगी, भले ही वह भाजपा से ताल्लुक रखती हों।

Pankaja मुंडे का बयान

Pankaja मुंडे, जो कि भाजपा की वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र की विधायक हैं, ने ‘Indian Express’ से बातचीत के दौरान कहा, “साफ तौर पर, मेरी राजनीति अलग है। मैं इसे सिर्फ इसलिए समर्थन नहीं करूंगी क्योंकि मैं उसी पार्टी से हूं। मेरा मानना है कि हमें केवल विकास पर काम करना चाहिए। एक नेता का काम हर व्यक्ति को अपना बनाना है, न कि धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर विभाजन करना। इसलिए हमें इस तरह के नारे महाराष्ट्र में लाने की कोई जरूरत नहीं है।”

Pankaja का यह बयान भाजपा में ही मतभेदों को उजागर करता है। जहां एक तरफ भाजपा के कुछ नेता इस नारे का समर्थन कर रहे हैं, वहीं पंकजा मुंडे जैसी नेता इसे अपनी राजनीति के खिलाफ मान रही हैं। उनका यह भी कहना है कि राजनीति में विभाजनकारी मुद्दों को बढ़ावा देने की बजाय, सभी समुदायों और वर्गों के बीच एकता की भावना बनाए रखना जरूरी है।

योगी आदित्यनाथ के नारे पर विवाद

योगी आदित्यनाथ का ‘बतेेंगे तो कटेंगे’ नारा महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान दिया गया था और यह तुरंत ही राजनीतिक विवाद का विषय बन गया। आदित्यनाथ ने इसे भाजपा की सुरक्षा और राष्ट्रवाद के मुद्दे को मजबूती से उठाने के रूप में पेश किया, जबकि आलोचक इसे धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समरसता के खिलाफ मान रहे हैं। आदित्यनाथ के समर्थक इसे भारतीय संस्कृति और हिंदू अस्मिता की रक्षा के रूप में देख रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे साम्प्रदायिक और विभाजनकारी बताते हैं।

इस नारे का समर्थन महाराष्ट्र में भाजपा के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पार्टी के कई नेताओं ने किया है, लेकिन पंकजा मुंडे ने इस पर स्पष्ट रूप से अपनी असहमत‍ि जताई है। उनका मानना है कि भाजपा की राजनीति का मुख्य उद्देश्य सभी वर्गों का विकास और एकता होनी चाहिए, न कि विभाजन की राजनीति।

महाराष्ट्र की राजनीति में असर

Pankaja मुंडे का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में और भाजपा के भीतर एक नई बहस को जन्म दे सकता है। महाराष्ट्र में चुनावी माहौल गरम है, और राज्य के नेताओं के बीच इस तरह की विभाजनकारी नीतियों पर मतभेदों का खुलकर सामने आना भाजपा के लिए एक चुनौती बन सकता है। जहां फडणवीस और अन्य नेताओं ने ‘बतेेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों को एक सख्त संदेश के रूप में प्रस्तुत किया है, वहीं पंकजा मुंडे जैसे नेता इसे भाजपा की छवि और राज्य की एकता के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं।

विकास के मुद्दे पर जोर

Pankaja मुंडे ने अपनी राजनीति का मूल आधार विकास को बताया और जोर दिया कि चुनावी प्रचार में मुद्दे विकास और सशक्तीकरण पर होने चाहिए। उनके अनुसार, महाराष्ट्र का चुनाव एकता और प्रगति की राजनीति पर आधारित होना चाहिए, न कि किसी तरह के धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर विभाजन की राजनीति पर। उनका यह बयान भाजपा के भीतर विभिन्न विचारधाराओं के बीच एक नया परिप्रेक्ष्य पेश करता है और यह संकेत करता है कि पार्टी में अंदरूनी मतभेद अब सार्वजनिक हो सकते हैं।

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महाराष्ट्र में भाजपा के भीतर चल रही इस बहस से साफ है कि विकास और एकता की राजनीति की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है, जबकि विभाजनकारी राजनीति को नकारा जा रहा है। पंकजा मुंडे का बयान भाजपा के लिए एक चेतावनी है कि पार्टी को अपने चुनावी प्रचार के दौरान विचारशील और सामंजस्यपूर्ण संदेश देना होगा, खासकर जब चुनावी राजनीति में साम्प्रदायिक और जातिवादी मुद्दे तेजी से उभर रहे हैं।

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