अगर सड़के सुनसान हो जायेगी तो सदन आवारा हो जायेगी ; आरक्षण क्या है?

रिजर्वेशन देश में एक ऐसा बड़ा मुद्दा हैं जो की बहुत महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन उसके साथ साथ कॉन्ट्रोवर्शियल भी हैं।

 

देश के सभी लोगो को आरक्षण का मतलब reservation का मतलब जानना जरूरी हैं । क्योंकि देश में कुछ लोग हैं जो रिजर्वेशन को आरक्षण को गलत बताते हैं और यह वही लोग हैं जिनको proper knowledge नही होती , proper information नही होती लेकिन इसमें उन लोगो की भी गलती नहीं हैं । रिजर्वेशन देश में एक ऐसा बड़ा मुद्दा हैं जो की बहुत महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन उसके साथ साथ कॉन्ट्रोवर्शियल भी हैं। और इसके ऊपर सबकी अपनी अपनी राय हैं । इसी बीच मैं “we the people” जो की एक ऑर्गेनाइजेशन हैं जिन्होंने मंडल आयोग , समजाजिक न्याय , राष्ट्रीय संसाधनों में समान हिस्सेदारी और जाति जनगणना राष्ट्रीय समेलन , कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित किया था ।

News nasha ने वहा उनमें से एक ऑर्गेनाइजर से बात करी , Dr. सूरज मंडल जी ने कहा , “हम देश में सोशल जस्टिस के लिए लड़ रहे हैं । लेकिन इसके साथ साथ गंभीर समस्या हैं जो की युवाओं के लिए बहुत ही खतरनाक हैं उद्धरण के लिए NEET में लीक , यूपीएससी में गड़बड़ी ,अग्निविर की नुक्तियो में घोटाला । विपक्षी पार्लियामेंट में अगर यह मुद्दे नही उठा पा रहे हैं तो यह जो हमारा गठन हैं “we the people” हम लोग मिलकर इन सब समस्याओं पर आवाज उठाएंगे , हम लोग सड़कों पर उतरेंगे । क्योंकि राम मनोहर लोहिया कहा करते थे की अगर सड़के सुनसान हो जायेगी तो सदन आवारा हो जायेगी । तो आज उन युवाओं के लिए सड़क पर उतरने के लिए यह सभा रखी गई हैं । युवाओं को अपना हक और हित के लिए जागना पड़ेगा और सड़क पर उतरना पड़ेगा । क्योंकि यह ऐसी सरकार जो देश को तो बेच ही चुकी हैं , युवाओं को भी बेच देगी और पता भी नहीं चेलगा”

 

 

आरक्षण क्या है?

समाज में हाशिये पर मौजूद वर्गों में समानता लाने और सामाजिक अन्याय से बचाने के लिए आरक्षण उनकी जगह सुरक्षित करता है. खासकर रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में हाशिये पर मौजूद वर्गों को वरीयता देने का काम आरक्षण के माध्यम से किया जाता है. इसकी शुरुआत ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने के लिए की गई थी. आरक्षण का काम यह सुनिश्चित करना है कि समाज में सबसे पिछड़े वर्ग को भी इसका लाभ मिले और जाति की प्रवाह किए बिना सभी को एक समान मंच मिल सके.

आरक्षण का इतिहास?
भारत में आरक्षण व्यवस्था की शुरुआत आजादी के से कई साल पहले हुई थी. आज से 141 साल पहले और आजादी से 65 साल भारत में आरक्षण की नींव रखी गई थी. 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक ज्योतिराव गोविंदराव फुले ने निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के साथ सरकारी नौकरी नौकरियों में सभी के लिए आरक्षण प्रतिनिधित्व की मांग की थी. 1932 – पूणे की यरवदा सेंट्रल जेल में 24 सितंबर 1932 को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी द्वारा हस्ताक्षरित एक समझौता यानी पूना पैक्ट हुआ था. इस समझौते ने प्रांतीय और केंद्रीय विधान परिषदों में गरीबों के लिए सीटों की गारंटी दी, जिन्हें आम जनता द्वारा चुना जाना था. ब्रिटिश सरकार की ओर से कुछ सीटों को वंचित वर्ग के लिए आरक्षित किया गया. इससे ‘अछूत’ माने जाने वाले वर्गों को दो वोट का अधिकार मिलना था लेकिन महात्मा गांधी के विरोध के बाद पूना पैक्ट समझौता हुआ.

1942 – बी आर अंबेडकर ने अनुसूचित जातियों की उन्नति के समर्थन के लिए अखिल भारतीय दलित वर्ग महासंघ की स्थापना की. उन्होंने सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग की. 1946 – भारत में कैबिनेट मिशन अन्य कई सिफारिशों के साथ आनुपातिक प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव दिया.

 

  • 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए कई फैसले लिए गए.

 

  • 1953 में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए कालेलकर आयोग को स्थापित किया गया. इसकी रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचियों में संशोधन किया गया.

 

  • 1979 – सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए मंडल आयोग को स्थापित किया गया.

 

 

  • 1980 – आयोग ने एक रिपोर्ट पेश की और मौजूदा कोटा में बदलाव करते हुए 22 फीसदी से 49.5 फीसदी वृद्धि करने की सिफारिश की.

 

  • 1990-91 – मंडल आयोग की सिफारिशों को विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा सरकारी नौकरियों में लागू किया गया. इसका भारी विरोध हुआ और बाद में 1991 में नरसिम्हा राव सरकार ने अलग से अगड़ी जातियों में गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण शुरू किया. इसके बाद से लगातार आरक्षण संबंधी नियमों में लगातार बदलाव होते रहते हैं.

 

-बिहार में 75 फीसदी आरक्षण का समीकरण:
मंजूरी मिलने के बाद बिहार में अब अन्य पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को 30% के बजाय 43%, अनुसूचित जाति को 16% के बजाय 20% और अनुसूचित जनजाति को एक की जगह 2% आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके अलावा पिछड़े सामान्य गरीब वर्ग के 10 फीसदी आरक्षण को मिलाकर इसे 75 फीसदी करने का प्रस्ताव है. जिन लोगो ने रिजर्वेशन को बढ़ावा दिया था b.r अमेदबदकर जी के साथ मिलकर वोह b general category से आते थे । क्योंकि उन लोगो को पता था उन लोगो ने वोह महोल देखा था की किस तरह से निचले वर्गो के लोगो को देखा जाता हैं कैसे उनके साथ बर्ताव किया जाता हैं , कैसा भेदभाव किया जाता हैं । और था नही हैं अभी भी देश के काफी rural areas हैं जहा अभी भी छुआछूत होता हैं भेदभाव होता हैं । किस तरीके से गांव में अगर नीचले वर्ग से आने वाले व्यक्ति के घर में शादी होती हैं , सड़क पर उसकी बारात निकल रही हैं और सामने से कोई उच्चे वर्ग का सामने आ जाए तो उस बारात को सामने से हटना पड़ता हैं।


और किस तरीके से आरक्षण का गलत इस्तेमाल किया जा रहा हैं । ऐसे बहुत सारे लोग हैं सोसाइटी में जो अपने आपको जनरल कहते हैं और वही लोग अपना रिजर्वेशन सर्टिफिकेट बनवाकर उसका लुफ्त उठाते हैं जिसके कई उदाहरण हम लोगो के सामने भी हैं और इसके वजह से joh जरूरत मंद हैं उनको इसका फायदा नही मिल रहा हैं । अगर देखा जाए तो जो लुफ्त उठा रहे हैं और जो परेशान हो रहे हैं वोह एक ही लोग हैं लेकिन नाम उन लोगो पर आता हैं जिनके नाम पर तो रिजर्वेशन हैं लेकिन उन तक पहुंच नही पा रही हैं ।
जब हम लोग किसी भी मुद्दे पर चर्चा करते हैं , बात करते हैं हम सभी को उस मुद्दे को अच्छे से समझ लेना चाहिए । उस ज़मीन ए हकीकत को समझा लेना चाहिए । क्योंकि जिन्हे इसे कोई फरक नही पढ़ रहा वोह लोग बोल कर चले जाते हैं लेकिन बहुत सी परेशानियों का सामना किसी और को ही करना पड़ता हैं।

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