कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन नहीं किया, तो कोविड की तीसरी लहर आना तय
एम्स रायपुर, छत्तीसगढ़ के निदेशक और सीईओ डा. नितिन एम नागरकर बता रहे हैं कि कैसे कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन कर कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को रोका जा सकता है, प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
छत्तीसगढ़ में कोविड की वर्तमान में क्या स्थिति है?
लगभग दो महीने के उतार चढ़ाव के बाद अब कोविड19 के मामलों में कमी देखी जा रही है। लेकिन यदि हम इस घातक वायरस को सच में नियंत्रित करना चाहते हैं तो लॉकडाउन हटने के बाद हमें अधिक सर्तक रहना होगा। लोगों को सख्ती से कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना होगा, ऐसा नहीं करने पर पर तीसरी लहर आने की को नहीं रोका जा सकेगा।
कोविड की दूसरी लहर ने राज्य को किस तरह प्रभावित किया? ग्रामीण इलाकों में संक्रमण का कितना अधिक प्रभाव देखा गया?
कोविड की दूसरी लहर बहुत गंभीर थी और इसने राज्य को बुरी तरह प्रभावित किया, मार्च 2021 की शुरूआत में 6.5 लाख केस देखे गए और बहुत से लोगों की जान चली गई। संक्रमण की उस स्थिति में मृत्यु दर 1.4 प्रतिशत थी। संक्रमण की दूसरी लहर का असर ग्रामीण क्षेत्र पर भी दिखा, सही मायने में संक्रमण की दृष्टि से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अधिक अंतर नहीं देखा गया। संक्रमण शहर से गांव, छोटी जगह से बड़े कस्बे और शहर से गांवों तक ऐसी जगहों पर फैल गया जहां लॉकडाउन होने के बाद भी पाबंदियों का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा था। इसके साथ ही श्रमिकों का शहर से गांव की ओर पलायन भी ग्रामीण इलाकों में कोविड के मामले बढ़ाने की बड़ी वजह बना।
कोरोना अनुरूप व्यवहार जैसे मास्क का प्रयोग, निर्धारित दूरी बनाकर रखना, स्वच्छता को अपनाना आदि का पालन करने के लिए लोग कितने जागरूक हैं?
लोग अब संक्रमण के प्रति जागरूक हो रहे हैं, लेकिन उसे उन्हें अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करना होगा। हम यदि महामारी को नियंत्रित करना चाहते हैं तो हमें कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना ही होगा और यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।
क्षेत्र के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान होने के नाते आपने अचानक कोविड के बढ़ते मरीज की चुनौती को कैसे स्वीकार किया?
एम्स में देशभर से लोग इलाज के लिए आ रहे थे, सभी मरीज संस्थान में सर्वोत्तम इलाज की उम्मीद से आते हैं। सबसे बड़ी चुनौती जिसका हम सभी ने सामना किया वह यह रही कि अच्छा इलाज देने के लिए हमें सभी मरीजों को अस्पताल में बेड और जगह देनी थी। अप्रैल और मई महीने के दौरान जब कोविड के मरीजों में तेजी से बढ़ोतरी हुई तब अचानक आईसीयू और एचयूडी बेड की मांग तेजी से बढ़ गई। जिसको देखते हुए हमने पांच दिन में आईसीयू बेड की संख्या 41 से बढ़ाकर 81 आईसीयू बेड कर दी। हमने ऑक्सीजन बेड की संख्या भी बढ़ाई, पूरे राज्य में केवल हमारे संस्थान में ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ 500 बेड हैं।
दूसरी लहर में कोविड के दूसरे अन्य संक्रमण जैसे म्यूकोरमायकोसिस और बैक्टीरियल निमोनिया के कितने मामले देखे गए और यह मामले कितने अधिक गंभीर थे?
कोविड संक्रमण के अनुपात में कोविड से जुड़े अन्य संक्रमण का आंकड़ा देखा जाए तो यह बेहद कम रहा। केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, अन्य राज्यों से भी म्यूकोरमायकोसिस संक्रमण के मामले हमारे पास आ रहे थे, हालांकि इनकी संख्या बहुत कम थी। अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड के लगभग 3.5 प्रतिशत मामलों में बैक्टीरियल निमोनिया देखा गया, और इसमें से ऐसे मरीजों की अधिकता थी, जिन्हें आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत पड़ी।
क्या यहां भी लोगों में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट या शंका है और इस समस्या का समाधान किस तरह हो सकता है?
शुरूआत में वैक्सीन को लेकर लोगों के मन शंका या हिचकिचाहट थी, लेकिन अब उनमें वैक्सीन के प्रति गजब का उत्साह है। धर्मगुरू और राजनेताओं द्वारा वैक्सीन लिए जाने से एक तरह का उदाहरण प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद लोग वैक्सीन के लिए आगे आने लगे, इससे लोगों को प्रोत्साहन मिला। अब जबकि लोग स्वेच्छा से वैक्सीन लगवाना चाहते हैं हमें उनकी सहूलियत को देखते हुए टीकाकरण में गति लानी चाहिए, इसके लिए घर घर जाकर वैक्सीन लगाने का विशेष अभियान शुरू किया जा सकता है, जिससे टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।