आजादी नहीं मिलती तो किसी अंग्रेज के यहां जूते साफ कर रही होती
RJD ने कंगना रनोट की तुलना तालिबान से की:तेज प्रताप बोले-
अभिनेत्री कंगना रनोट के बयान पर RJD भड़क गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा व पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने गुस्सा जाहिर किया है। झा ने कहा है कि त्रिपुरा में क्या हो रहा है? हक की बात करने पर UAPA लगता है, लेकिन कंगना रनोट 1947 के बजाय 2014 में आजादी की बात करती हैं तो उन्हें पद्मश्री मिलता है। ये दुर्भाग्य है कि देश को कहां खड़ा कर दिया है। गोडसे को देशभक्त कहने वाला संसद में बैठा है और प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि मन से माफ नहीं करेंगे।
मनोज झा ने कहा कि कंगना रनोट पर भी हो सकता है कह दें कि मन से माफ नहीं करेंगे। ये मन से नहीं माफी की बात क्या होती है? कंगना की पुरस्कार वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो लोग ये मांग कर रहे हैं वे बात को समझ नहीं रहे हैं। प्रज्ञा के बयान के बाद क्या हुआ? कहा गया कि इस्तीफा दीजिए, संसद को ऐसा व्यक्ति नहीं चाहिए जो गोडसे को देशभक्त कहता हो। तालिबान हमें पड़ोस में नहीं दिखता है, मेरे सामने दिखता है। आज जो लोग ताली पीटकर कहे हैं कल छाती पीट रहे होंगे और कह रहे होंगे कि देश को कहां से कहां पहुंचा दिया गया। इसको रिपेयर करने में वर्षों लग जाएंगे, शायद रिपेयर भी न हो पाए।
देश की खातिर शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को तो अपमानित ना करें: तेज प्रताप
लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने लिखा है कि जब कुछ लोग अंग्रेजों से माफी मांग रहे थे तो देश के वीर फांसी का फंदा चूम रहे थे। यह कहकर कि देश को आजादी 2014 के बाद मिली है। देश की खातिर शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को तो अपमानित ना करें। अगर वे देश की खातिर बलिदान न देते तो आज भी किसी अंग्रेज के घर में जूते-चप्पल साफ कर रहे होते।
सुशील मोदी स्पष्ट करें कि 1947 को मिली आजादी वे भी क्या भीख मानते हैं: शिवानंद तिवारी
शिवानंद तिवारी ने कहा है कि मुझे नहीं मालूम है कि सुशील मोदी के पुरखों की आजादी की लड़ाई में क्या भूमिका थी, लेकिन इतिहास गवाह है कि मेरे पिता स्वर्गीय रामानंद तिवारी आजादी के उस महान संघर्ष में अपनी जान हथेली पर लेकर कूद गए थे। जेल की सजा भोगी थी। इसलिए मुझे लगा कि कंगना अपने बयान से मेरे पिताजी के संघर्ष को भी अपमानित और जलील कर रही हैं। मैं उस बयान का पुरजोर विरोध कर रहा हूं। बात-बात में दूसरों से सवाल पूछने वाले सुशील मोदी जी बताएं कि क्या वह 15 अगस्त 1947 को मिली हमारी आजादी को कंगना की तरह ही भीख मानते हैं! उनको यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे कंगना जी की तरह ही नरेंद्र भाई मोदी के सत्तारूढ़ होने के वर्ष 2014 को ही देश की आजादी का असली वर्ष मानते हैं?
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