प्रेमी को पाने के लिए पति को मारकर जलाया
अमेठी; कहा जाता है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं उससे कोई बच नहीं सकता। अपराधी कितना भी शातिर क्यों ना हो लेकिन कोई न कोई सबूत छोड़ ही जाता है। जिसके सहारे पुलिस अपराधियों तक पहुंचने में सफल हो जाती है। लेकिन आज के इस मामले में स्थानीय पुलिस की लापरवाही और नकारेपन की वजह से 35 वर्षीय युवक की हत्या के लगभग सवा महीने बाद हत्या का खुल सका है राज। मामला पुलिस अधीक्षक महोदय के संज्ञान में आने के 48 घंटों के भीतर ही हो गया रहस्योद्घाटन। अन्यथा स्थानीय थाने की पुलिस 1 महीने से अधिक समय से मामले को दबाने में थी जुटी।
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार प्रेम पति पत्नी का संबंध 1 जन्मों का नहीं बल्कि 7 जन्मों का होता है। पति पत्नी के अटूट प्रेम की मिसालें दी जाती है यह एक सिक्के के दो पहलू माने जाते हैं या फिर यूं कहा जाए कि एक साइकिल के दो पहिए होते हैं। लेकिन यहां पर ठीक उसका विपरीत है । आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले से अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है। जहां पर पीपरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत घोरहवा गांव में रहने वाले हरिप्रसाद मिश्रा का इकलौता पुत्र दिनेश मिश्रा था। दिनेश मिश्रा की मां पहले ही गुजर चुकी थी। पारिवारिक परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए दिनेश मिश्रा के पिता रोजी रोजगार के सिलसिले में पंजाब के लुधियाना में रहकर कमाते थे। यहां घर पर दिनेश मिश्रा और उसकी पत्नी प्रीती मिश्रा दोनों लोग रहा करते थे। धीरे-धीरे समय बीतता गया दिनेश और प्रीति से 3 बच्चे भी हो गए। इसी बीच में दिनेश की पत्नी अपने पति को छोड़कर अकेले ही 2 साल मुंबई में रहकर वहां पर कोई काम करती थी उसके बाद वह 7 महीने पट्टी में रहकर काम किया है। बाद में फिर वह घर पर ही रहने लगी। दिनेश प्रतिदिन सुल्तानपुर जाकर मजदूरी का काम किया करता था और शाम को वह वापस लौटता था। घर के परिजन बताते हैं कि जब दिनेश काम पर चला जाता था तब इसके घर पर हेलमेट लगाकर लाल रंग की गाड़ी से एक लड़का आता था और वह अक्सर इनको लेकर बाहर जाता था। परिवार के अन्य लोग बताते हैं कि प्रीति मिश्रा का चरित्र अच्छा नहीं था । बाहरी लोग घर में भी आते थे और वह स्वयं घर के बाहर जाती थी लेकिन शाम होने से पहले अर्थात दिनेश के वापस आने से पहले वह अपने घर वापस आ जाया करती थी। एक दिन दिनेश ने इसको प्रेमी के साथ पकड़ लिया उसके बाद दोनों में काफी लड़ाई हुई दिनेश को इस बात की जानकारी हुई कि उसकी पत्नी गैरों के साथ रहती है तो आए दिन दोनों में लड़ाई झगड़े हुआ करते थे। प्रीति की स्वच्छंदता में दिनेश मिश्रा बाधक बन रहा था ऐसे में उसकी पत्नी ने उसको रास्ते से हटाने का प्लान अपने प्रेमी के साथ मिलकर बना डाला। जिसके बाद पिछले 13 फरवरी 2023 को जब दिनेश मिश्रा मजदूरी कर घर वापस आया तो उसकी पत्नी ने उसको खाने के साथ नींद की गोलियां दे दी । जिसके बाद वह गहरी नींद में सो गया। तब प्रीती ने अपने प्रेमी को बुलवाया। उसके प्रेमी अपने एक अन्य दोस्त को लेकर प्रीति के घर पहुंचा और फिर तीनों ने मिलकर दिनेश मिश्रा की गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या करने के बाद लाश को ठिकाने लगाने के लिए लाश को टुकड़ों टुकड़ों में काटा और उसको बोरे में भरकर गांव से लगभग 1 किलोमीटर दूर खेतों के बीचो बीच में रखे पुआल के ढेर में रखकर उसमें आग लगा दी। पुआल जहां पर रखा हुआ था वहां आसपास कोई गांव नहीं था। दूर से जब गांव वालों ने पुआल के ढेर को जलते हुए देखा तो समझा कि किसी कारणवश पुआल के ढेर में आग लग गई होगी। सुबह जब ग्रामीण वहां पर पहुंचे तो लाश के छोटे से अंश को कुत्ते नोच रहे थे। तब इसकी सूचना ग्रामीणों ने स्थानीय थाना पीपरपुर में दी। यहीं से शुरू होती है पुलिस की नाकामी और नकारेपन का खेल। पीपरपुर थानाध्यक्ष संदीप राय के द्वारा ग्रामीणों को यह कहकर वापस कर दिया गया कि वह कुत्ते की लाश है। पुआल में बैठा कुत्ता आग में जल गया था और कुछ नहीं है। इधर दिनेश मिश्रा का मोबाइल स्विच ऑफ हो गया लुधियाना से उसके पिता लगातार परेशान थे । उसके पिता ने अपने अन्य रिश्तेदारों से संपर्क किया। लेकिन कहीं पर भी दिनेश मिश्रा का कोई पता नहीं चल सका। थक हार कर दिनेश के ताऊ ने दिनेश की गुमशुदगी की सूचना पिछले 6 मार्च को स्थानीय थाने में दी। लेकिन थानाध्यक्ष महोदय का मनमाना पन तो देखिए उन्होंने सिर्फ नाम पता नोट कर शिकायतकर्ता को वापस भेज दिया। ऐसे में जब शिकायतकर्ता ने दिनेश की पत्नी पर संदेह व्यक्त करते हुए अपनी बात कहनी चाही तब थानाध्यक्ष महोदय ने शिकायतकर्ता को धमकाते हुए वहां से भगा दिया। थानाध्यक्ष महोदय ने शिकायतकर्ता को कहा कि तुम ज्यादा उछल कूद मत करो अन्यथा दिनेश मिश्रा की पत्नी से ही तहरीर लेकर तुम्हें छेड़खानी और बलात्कार के केस में अंदर कर दूंगा। दिनेश मिश्रा के ताऊ जो शिकायतकर्ता थे वह डर के मारे वापस आ गए। ऐसे में 16 मार्च को दिनेश मिश्रा के पिता लुधियाना से घर आए और उन्होंने पुआल के पास जाकर देखा तो वहां पर कुछ मात्रा में नर कंकाल के छोटे-छोटे टुकड़े दिखाई पड़े। उन्होंने अपने पुत्र की गुमशुदगी की सूचना पुलिस को दी लेकिन स्थानीय पुलिस ने एक भी ना सुनी। थक हार कर दिनेश के पिता ने मामले को मीडिया के सामने ले आए। मीडिया में आने के बाद दिनेश मिश्रा के पिता को कुछ बल मिला और वह सीधे अपनी शिकायत लेकर गौरीगंज स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच गए ।जहां पर उन्होंने जिले के एसपी डॉ इलामारन जी से मुलाकात कर पूरी दास्तान सुनाई। कप्तान साहब की संज्ञान में आने के बाद तत्काल आनन-फानन में कप्तान साहब ने मौके पर फॉरेंसिक टीम भेजकर कंकाल को एकत्रित कराते हुए जांच के लिए प्रयोगशाला भिजवाया । जहां पर यह पता चल सके कि वास्तव में वहां पड़ा कंकाल का अंश मानव का है अथवा किसी जानवर का। इसी के बाद स्थानीय थाने में गुमशुदगी का मुकदमा भी दर्ज हुआ और कप्तान साहब स्वयं निगरानी करना शुरू कर दिए। पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आने के 48 घंटे के भीतर ही मामला परत दर परत खोलने लगा और दिनेश मिश्रा की गुमशुदगी स्पष्ट हो गई कि वह गायब नहीं है बल्कि उसकी हत्या हो गई है। दिनेश मिश्रा के पिता की तहरीर के आधार पर पुलिस ने दिनेश की पत्नी प्रीति को पकड़कर जब कड़ाई से पूछताछ की तो मामला स्पष्ट हो गया जिसमें उसने अपना जुर्म स्वीकार करते हुए बताया कि मेरा कमलेश वर्मा पुत्र रामनाथ वर्मा निवासी जमुआये थाना शिवगढ़ जनपद सुल्तानपुर से काफी दिनों से प्रेम प्रसंग चल रहा था उसमें मेरे पति दिनेश मिश्रा व्यवधान डाल रहे थे जिसके कारण अपने पति दिनेश मिश्रा की हत्या के लिए मैंने अपने प्रेमी कमलेश वर्मा और उसके साथी विजय वर्मा को पिछले 13 तारीख को अपने घर बुलाकर अपने पति दिनेश मिश्रा को खाने में नींद की गोली देकर गहरी निंद्रा में होने पर रात्रि में अपने प्रेमी कमलेश वर्मा व उसके साथी विजय भावना के साथ मिलकर गला दबाकर हत्या करके शव को गांव के पड़ोस में पुआल के ढेर में जला दिया तथा बचे हुए शव के अवशेष को नहर के किनारे मिट्टी में दबा कर छिपा दिया। दिनेश मिश्रा की पत्नी प्रीति मिश्रा के बयान के आधार पर पुलिस ने मृतक के बचे हुए लाश के अवशेष को नहर के किनारे मिट्टी से बरामद किया और कमलेश वर्मा को भी गिरफ्तार कर आज इस घटना का लगभग सवा महीने बाद खुलासा किया गया। ऐसे में सबसे बड़ी बात यह है कि मामला अगर पुलिस अधीक्षक महोदय के संज्ञान में ना जाता तो दिनेश मिश्रा आजीवन गुमशुदा ही रह जाता और उसकी हत्या करने वाले हत्यारे ऐसे ही खुलेआम घूमते रहते। ऐसे में दिनेश मिश्रा के हत्यारों को तो अब सजा मिलकर ही रहेगी लेकिन स्थानीय थाना पीपरपुर के थानाध्यक्ष संदीप राय के द्वारा की गई इस प्रकार की कर्तव्य हीनता लापरवाही और नकारेपन की सजा आखिर उन्हें कब मिलेगी इस बात का जवाब अभी तक अमेठी पुलिस नहीं दे सकी है।