मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में जुटे मजदूर, आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
भारत में कोरोनावायरस के मद्देनजर लॉक डाउन को 19 दिन और आगे बढ़ा दिया गया है। ऐसे में आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा है कि लॉक डाउन अब 3 मई तक बढ़ाना जरूरी हो गया है। ऐसे में आज जो लॉक डाउन -1 था वह खत्म होने वाला था। इसे देखते हुए मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हो गई है। सभी मजदूर घर जाने के लिए स्टेशन पर पहुंच गए थे। मजदूरों को लगा कि आज लॉक डाउन खत्म हो जाएगा, लेकिन पीएम मोदी ने आज सुबह 10:00 बजे ही लॉक डाउन बढ़ाने का फैसला किया है। रेलवे स्टेशन पर भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
खबर है कि पुलिस की कार्रवाई के बाद भीड़ हट गई है। लेकिन मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर बहुत ज्यादा भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी। वहीं स्थानीय नेताओं का कहना है कि लोगों को समझाया जा रहा है कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी और हर संभव मदद की जाएगी। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इन मजदूरों के खाने का इंतजाम करेगी। हम मजदूरों को समझा रहे हैं कि उनकी परिस्थितियों को सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे।
बता दें कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरोनावायरस के मामले मुंबई में ही स्थित है। ऐसे में इतनी ज्यादा भीड़ कोरोनावायरस को तेजी से फैला सकती है। लॉक डाउन हो तो चुका है लेकिन इस तरह से जब भीड़ बाहर निकलेगी तो कोरोनावायरस को रोका नहीं जा सकता। इतनी ज्यादा भीड़ में अगर किसी एक व्यक्ति को भी कोरोनावायरस होता है तो वह हजारों की तादाद में कोरोनावायरस से जा सकता है। फिलहाल देश में 10,000 से ज्यादा कोरोनावायरस के मामले पहुंच चुके हैं।
इस पूरी घटना पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बांद्रा स्टेशन पर वर्तमान स्थिति, मजदूरों को हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि सूरत में हाल में कुछ मजदूरों ने दंगा किया था। केंद्र सरकार उन्हें घर पहुंचाने को लेकर फैसला नहीं ले पाई। आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है। प्रवासी मजदूर खाना और शेल्टर नहीं चाहते हैं, वे घर जाना चाहते हैं।
आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि सूरत में कानून और व्यवस्था की स्थिति काफी हद तक एक समान स्थिति के रूप में देखी गई है। सभी प्रवासी श्रमिक शिविरों से प्रतिक्रिया समान है। कई खाने या रहने से इंकार कर रहे हैं। वर्तमान में महाराष्ट्र में विभिन्न आश्रय शिविरों में 6 लाख से अधिक लोगों को रखा गया है।