विकास कृशन ने कैसे अपने हार को जीत में बदल दिया, सुनिए खुद उनकी जुबानी।
भारत के खिलाड़ियों ने देश और विदेश में तमाम प्रसिद्धया देश के लिए हासिल की है, मगर आज आपको हम एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में बताएंगे जिन्होंने ऐसे खेल में देश का नाम रोशन किया है जो की अभी तक भारत के इतिहास में नहीं हुआ है, मुक्केबाज खिलाड़ी का नाम है वकास कृशन
करोड़ लोगों की तालियों के बीच जीत को अपन माथे पर सजाना, लेकिन उन्हीं करोड़ों आंखों के सामने, हार को गल लगाना, और उस हार को अपनी अगली जीत का आधार बनाना; ये है असली विजेता की पहचान! और ऐस है विजेता है वकास कशन।
वकास कृशन, हरियाणा के गुमनाम से गांव सिंघवा खास के एक मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुए
2010 में international debut करते ही gold medals का सनहरा डबल पचं जड़ने के बाद, वकास कृशन ने Singapore Summer Youth Olympics और Asian Games मभी अपनी ताक़त और हुनर के दम पर जीत हासिल की।
2014 एशियन गेम्स ब्रोंज और 2015 के एशियन boxing championship में और सिल्वर अपने नाम किया ; और लगातार तीन एशियन गेम्स मेंडल जीतन वाल पहले भारतीय boxer बन कर इतिहास रच दिया ।
मगर 2018 में उनके कैरियर को एक झटका लगा।
2020 के Asia Oceania Olympic Qualifier में Japan के Sewon Okazawa को 5-0 स धारशायी करत हुऐ, Tokyo Olympics में अपनी जगह बनाई !
वकास कृशन के फैंस, उन्हें प्यार से इंडियन टैंक भी बुलाया आते हैं। अब इस अर्जुन पुरस्कार विजेता इंडियन टैंक का अगला लक्ष्य 2021 के ओलंपिक में गोल्ड लाना है
Olympic में कांस्य पदक विजेता विजेंद्र सिंह के अलावा विकास इकलौते ऐसे भारतीय बॉक्सर हैं जिन्होंने तीन बार ओलंपिक में के लिए क्वालीफाई किया है।
- यानी इस बार रिंग में उतरते हुए वकास कृशन पर नजरें होंगी सारे हिंदुस्तान की, क्योंकि इनके मजबूत कंधों पर टिका है, 130 करोड़ भारती की ओलंपिक की आशा और इनकी कड़ी मेहनत से यह पता चलता है कि यह उस हौसले को पूरा करने में सक्षम है।