चावल के शौकीनों को अलर्ट करने वाली रिसर्च
हड़बड़ी में बनाए गए चावल खाने से हो सकता है कैंसर, इंग्लैंड के वैज्ञानिकों की रिसर्च; जानिए कब और कैसे बढ़ता है कैंसर का खतरा
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अगर आप चावल के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए है। इंग्लैंड के वैज्ञानिकों ने चावल से कैंसर होने का खतरा जताया है। वैज्ञानिकों का कहना है, मिट्टी में पहुंचने वाले कीटनाशक और जहरीले केमिकल चावल खाने वालों के लिए नया खतरा पैदा कर रहे हैं। मिट्टी के जरिए चावल में पहुंचने वाला आर्सेनिक तत्व कैंसर और हृदय रोगों का खतरा बढ़ाता है।
वैज्ञानिकों का कहना है, अधपके या देर तक पानी में न भीगे चावल खाने से कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसे हड़बड़ी में तैयार करने से बचें।
चावल से बीमारियों का खतरा क्यों बढ़ रहा है, इसे कैसे कम कर सकते हैं और भारतीय लोगों को क्यों अलर्ट करने की जरूरत है, जानिए, इन सभी सवालों के जवाब…..
यह खतरा क्यों बढ़ रहा है?
वैज्ञानिकों का कहना है, खतरे की सबसे बड़ी वजह है आर्सेनिक। इसके दो कारण है। पहला, यह लगभग हर पेस्टिसाइड्स और इसेक्टिसाइड्स में पाया जाता है। खेती-किसानी में इनका बढ़ता इस्तेमाल खतरा बढ़ा रहा है।
दूसरा बड़ा खतरा है, पानी में आर्सेनिक की मौजूदगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कई देशों के भूजल में आर्सेनिक काफी मात्रा में मौजूद है। यह धीरे-धीरे शरीर में पानी और भोजन के जरिए पहुंच रहा है।
चावल से ही ज्यादा खतरा क्यों?
शोधकर्ता कहते हैं, चावल से इसलिए भी ज्यादा खतरा रहता है क्योंकि पहले ही चावल की फसल खतरनाक रसायनों के बीच बढ़कर तैयार होती है। दूसरी बात, चावल पानी को अधिक सोखते हैं। अगर पानी में भी आर्सेनिक है तो खतरा और भी बढ़ सकता है। रिसर्च के मुताबिक, लम्बे समय शरीर में आर्सेनिक पहुंचने पर कुछ लक्षण दिख सकते हैं। शरीर में बदलाव दिखने पर डॉक्टरी सलाह लें।
कैसे कम कर सकते हैं खतरा?
रिसर्च करने वाली क्वींस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के वैज्ञानिकों का कहना है, कैंसर और दूसरी बीमारियों का खतरा कम करने के लिए चावल को अधपका न खाएं। इसे अच्छी तरह पकाएं। रिसर्च रिपोर्ट में चावल से आर्सेनिक को निकालने का एक तरीका भी बताया गया है, जो खतरे को घटाता है।
चावल में आर्सेनिक से हर साल 50 हजार मौतें
शोधकर्ताओं के मुताबिक, फैसल की पैदावार के दौरान ही इसमें मिट्टी के जरिए ऐसे कई रसायन पहुंचते हैं। अनाज खाने पर ये लिवर से जुड़ी बीमारियां और कैंसर की वजह बनते हैं। कुछ मामलों में मौत तक हो जाती है।
चावल ऐसा अनाज है जिस पर ज्यादातर आबादी निर्भर है। यह काफी मात्रा में कैलोरी और पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, चावल में आर्सेनिक होने के कारण दुनियाभर में 50 हजार मौतें हर साल होती हैं।
भारत को क्यों अलर्ट होने की जरूरत
दुनियाभर में चावल के उत्पादन में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है। नेशनल सैम्पल सर्वे के मुताबिक, शहरों के मुताबिक, देश के गांवों में चावल अधिक खाया जाता है। गांव में एक भारतीय हर महीने 6 किलो चावल खाता है वहीं, शहरी इंसान में यह आंकड़ा 4.5 किलो है।
उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में चावल अधिक खाया जाता है। सैम्पल सर्वे के मुताबिक, देश में दक्षिण, पूर्व और उत्तर-पूर्व के लोगों को चावल काफी पसंद है। ज्यादातर राज्यों में लोग चावल खाना पसंद करते हैं, ऐसे में अलर्ट रहने की जरूरत है।