मां के सीने पर प्रीमैच्योर बेबी को बिना कपड़ों के लिटाने से फायदा, जानें क्या है कंगारू केयर
कुछ मेडिकल स्थितियों में कंगारू केयर नहीं दी जाती हैघर पर कंगारू केयर से पहले डॉक्टर का परामर्श ले लें
यूनिसेफ के अनुसार भारत में प्रतिदिन 68 हजार 5 सौ बच्चे जन्म लेते हैं। इनमें से प्रति मिनट एक की मृत्यु हो जाती है। न्यू-बॉर्न डेथ में से 39.5% मृत्यु की वजह प्रीमैच्योर बर्थ है। कंगारू केयर ऐसे बर्थ के लिए वरदान जैसा है।
करीब से समझें इस केयर को
मेडिकल साइंस मानता है कि कंगारू केयर का प्रीमैच्योर बेबी पर अच्छा असर होता है। गुरुग्राम स्थित पारस हॉस्पिटल में नियोनेटोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. मनीष मनन के अनुसार, “मां के सीने पर प्रीमैच्योर बेबी को बिना कपड़ों के लिटाने से नवजात को फायदा पहुंचता है। ऐसा करते समय डायपर छोड़कर नवजात के सारे कपड़े उतार दिए जाते हैं। आपस में लिपटे हुए मां और शिशु को ब्लैंकेट या हॉस्पिटल गाउन से लपेट दिया जाता है।
ऐसा करने से मां और बेबी की त्वचा संपर्क में आती है। यह कुछ घंटों के लिए किया जाता है। इसके कई सेशन्स होते हैं। प्री-मैच्योर बेबी की स्थिति को देखकर डॉक्टर्स सेशन्स तय करते हैं। मां के साथ चादर से लिपटा शिशु, कंगारू और उसके पाउच में बैठे बेबी कंगारू जैसा दिखता है। इसी वजह से इसे कंगारू केयर का नाम दिया गया है।”
पिता के कंगारू केयर से भी पहुंचता है फायदा
नवजात मृत्यु दर में आ रही लगातार कमी
एक साल में जन्म लेने वाले एक हजार शिशुओं में से जिनकी मृत्यु हो जाती है, उस संख्या को ‘नवजात शिशु मृत्यु दर’ कहते हैं। मार्केट एंड कंज्यूमर डेटा से जुड़ी कंपनी स्टैटिस्टा के अनुसार नवजात की मौत का सीधा संबंध प्रीमैच्योर बर्थ, सेप्सिस, मेनिनजाइटिस, सडन इंफैन्ट डेथ सिंड्रोम और न्यूमोनिया से है।
जून 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में नवजात शिशु मृत्यु दर में लगातार कमी आ रही है। साल 2009 में हजार जन्म पर 47 शिशु की मृत्यु हो जाती थी जबकि साल 2019 में यह संख्या घटकर 28 हो गई है। इसकी वजह देश की मेडिकल सुविधाओं में आए सुधार हैं। हालांकि इस दिशा में और सुधार किया जाए, तो बच्चे के जन्म के बाद किसी भी मां की गोद सूनी नहीं रहेगी।
मां की टच थेरेपी है असरदार
मां के साथ पिता की टच थेरेपी भी चमत्कारी
दिल्ली स्थित मणिपाल हॉस्पिटल की ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट हेड डॉ. यशिका गुड़ेसर के अनुसार प्रीमैच्योर के साथ ही नॉर्मल नवजात शिशु के लिए भी कंगारू केयर असरदार माना गया है। इससे बेबी के दिल की धड़कन सामान्य रूप से चलती रहती है, उसके सांस लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है, यह प्रक्रिया शिशु के पूरे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई को सही रखती है। इसके अलावा इस केयर से बेबी के शरीर का तापमान ठीक रहता है, कमजोर बच्चों का वजन तेजी से बढ़ता है।
यह भी पाया गया है कि मां के शरीर के संपर्क में रहने वाले बच्चे कम रोते हैं। कंगारू केयर का बच्चे के साथ-साथ माता-पिता को भी फायदा होता है। पेरेंट्स के साथ बेबी का बॉन्ड मजबूत होता है। मां के शरीर में दूध की कमी नहीं होती। बेबी केयर को लेकर माता-पिता का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। किसी वजह से मां कंगारू केयर न दे पाए, तो पिता भी कंगारू केयर दे सकते हैं।
सुकून भरा है कंगारू केयर
घर में भी दी जा सकती है कंगारू केयर
इस केयर में एक से अधिक बार बच्चे को सीने से लगा कर रखा जाता है। हफ्ते में 3 से 4 बार घंटेभर के लिए इसे कर सकते हैं।टच थेरेपी देते समय मां मन को शांत रखे। गहरी सांसें ले।बच्चे से खेले नहीं, उसे अपने सीने पर आराम से चैन की नींद लेने दें।कुछ मेडिकल स्थितियों में कंगारू केयर नहीं दी जाती है, इसलिए घर पर ऐसा करने से पहले डॉक्टर का परामर्श लें।
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