व्हाइट हाउस से UN तक भारत ने कैसे जीती बाजी, जानें कैसे पाकिस्तान को घेरा
न्यूयॉर्क. प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका यात्रा (PM Modi in America) पर हैं. अगर देखा जाए तो राजनयिक स्तर पर भारत (India) के लिए यह दौरा सफल होता दिख रहा है. पहले पीएम मोदी के साथ मुलाकात में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (US VP Kamala Harris) ने पाकिस्तान (Pakistan) और आतंकवाद (Terrorism) जैसे शब्दों का जिक्र किया. उसके बाद राष्ट्रपति बाइडेन और क्वाड समिट (Quad Summit) में अमेरिका (America), जापान (Japan) और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने पाकिस्तान में आतंकवाद और अफगानिस्तान की ताजा स्थिति पर चिंता जताई. शुक्रवार को जब इमरान खान अफगानिस्तान में तालिबान के पक्ष में बोल रहे थे, तब वॉशिंगटन में व्हाइट हाउस (White House) से लेकर न्यूयॉर्क (New York) में यूएन ऑफिस (UN Office) तक भारत ने पाकिस्तान काे आड़े हाथों लिया है. पीएम मोदी ने तालिबान (Taliban) के मसले को क्वाड समिट में उठाया था.
पीएम माेदी-बाइडन मुलाकात के बाद भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि यह साफ है कि अब आतंकवाद के मुद्दे पर और अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका की अधिक सावधानीपूर्वक जांच और निगरानी की जरूरत है.
यूएन में तालिबान के वकील बने वजीर-ए-आजम इमरान
पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में तालिबान का पक्ष लिया. उन्होंने कहा कि तालिबान की कार्यवाहक कैबिनेट ने अफगानिस्तान में मानवाधिकारों का सम्मान करने और समावेशी सरकार बनाने का वादा किया है. उन्होंने ग्लोबल कम्युनिटी से तालिबान का साथ देने की अपील की, ताकि अफगानिस्तान के हालातों को सुधारा जा सके.
अपने भाषण में किया पाकिस्तान का बचाव
इमरान खान ने अपने ज्यादातर भाषण में पाकिस्तान का बचाव ही करते नजर आए. पाकिस्तान 1996 से 2001 तक तालिबान सरकार का बड़ा हिमायती रह चुका है. उन्होंने कहा, ‘वहां बिगड़े हालात के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी कीमत हमने चुकाई है. 80 हजार लोग मारे गए, 120 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. हमने अमेरिका के लिए जंग लड़ी. 1983 में प्रेसिडेंट रोनाल्ड रीगन ने मुजाहिदीन को हीरो बताया था. जब सोवियत सेनाएं वहां से चली गईं तो अमेरिका ने अफगानिस्तान को अकेला छोड़ दिया. हमने अमेरिका की जंग में उसका साथ दिया, लेकिन बदले में हमें कभी तारीफ नहीं मिली, बल्कि हमें इन ताजा हालातों के लिए कसूरवार ठहराया जा रहा है.” बता दें कि अमेरिकी अधिकारी अक्सर पाकिस्तान की आईएसआई पर तालिबान को सपोर्ट का करने का आरोप लगाते रहे हैं.
फिर भारतीय मुसलमानों की सुरक्षा का डर दिखाया
खान अपने भाषण में भारतीय मुसलमानों की सुरक्षा के डर का नाटक करते हुए भी नजर आए. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत के बिलियन डॉलर मार्केट की तरफ भाग रही है. लेकिन वहां RSS और भाजपा मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं. देश 20 करोड़ मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. वहीं, इमरान खान के भाषण के बाद यूएन में भारत की फर्स्ट सेक्रेटी स्नेहा दुबे ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया. उन्होंने पाकिस्तान पर ओसामा को पालने और पड़ोसी देशों में आतंकवाद फैलाने का दोषी ठहराया.
पाकिस्तान को मिला सिर्फ थैंक्यू का शब्द
इमरान खान से मुलाकात तो छोड़िए यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने अभी तक उन्हें फोन तक नहीं किया. हालांकि गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने समकक्ष पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से मुलाकात की और उन्हें अमेरिकी नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकलने में मदद के लिए शुक्रिया अदा किया.