प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से कितना खुश होंगे राजस्थान के गुर्जर ?
गुर्जरों की राज्य में लगभग 9 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की आबादी हैं और पूर्वी राजस्थान में 40 से 50 विधानसभा सीटों पर उनका अच्छा खासा असर है.
जयपुर : राजस्थान के में अब ज्यादा वक़्त नहीं बचा है ऐसे में बड़े नेताओ के दौरे शुरू हो चुके हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राजस्थान में भगवान देव नारायण की 1111वीं जयंती पर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मालासेरी पहुंचेंगे. लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव के 10 माह पहले हो रही इस यात्रा के सियासी तौर पर मायने भी निकाले जा रहे हैं. मालासेरी भगवान देव नारायण का जन्मस्थान माना जाता है जो इस क्षेत्र में रहने वालों विशेष रूप से गुर्जरों के लिए पूज्यनीय है, जो कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही के लिए समर्थन का बड़ा स्त्रोत रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही पार्टियां इनका समर्थन हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं.
पिछले चुनाव में बीजेपी ने गुर्जर समुदाय के 9 लोगों को टिकट दिया था लेकिन समुदाय के वोट इस उम्मीद में कांग्रेस की ओर शिफ्ट होने से यह सभी चुनाव हार गए थे कि सचिन पायलट राजस्थान के पहले गुर्जर मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि इस उम्मीद पर बाद में पानी फिर गया और पीएम मोदी की यात्रा एक धार्मिक कार्यक्रम के जरिये गुर्जरों के बैंक तक पहुंच बनाने का भाजपा का सियासी दांव प्रतीत होता है. बीजेपी की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने एनडीटीवी से कहा, “प्रधानमंत्री ने काशी के विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन के महाकाल मंदिर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों बहाली के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं. उम्मीद है कि देव नारायण मंदिर के लिए भी कुछ किया जाएगाण. हमें हर चीज को ‘सियासी चश्मे’ से नहीं देखना चाहिए.”
गुर्जरों की राज्य में में लगभग 9 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की आबादी हैं और पूर्वी राजस्थान में 40 से 50 विधानसभा सीटों पर उनका अच्छा खासा असर है. गुर्जरों ने अतीत में आरक्षण के लिए हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू किया था और हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के राज्य में प्रवेश को रोकने की धमकी दी थी. देव नारायण मंदिर में एनडीटीवी से बात करते हुए विजय बैंसला ने कहा, “पिछली बार जो हुआ वह दोबारा नहीं होगा. पिछली बार गुर्जर हार गए थे और अब उन्होंने अपना सबक सीख लिया है. निश्चित रूप से हमें गुर्जर विधायक चाहिए। गुर्जर लगभग 40 सीटों पर प्रभाव डालते हैं देखते हैं कि क्या प्रभाव क्या होता है.” गौरतलब है कि पिता कर्नल किरोड़ी सिंह की मृत्यु के बाद विजय बैंसला ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन की कमान संभाली है. उन्होंने कहा, सचिन पायलट एक व्यक्तिगत कारक हैं और इसे हर चुनाव में नहीं दोहराया जा सकता.