लखीमपुर खीरी में आखिर कैसे शुरू हुआ बवाल? जानिए पूरी कहानी
लखीमपुर खीरी. लखीमपुर में 25 सितंबर को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) के बयान को लेकर शुरू हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) में एक हफ्ते बाद रविवार को हिंसक मोड़ आ गया. हिंसा में एक पत्रकार और चार किसानों सहित अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें तीन बीजेपी कार्यकर्ता हैं और एक ड्राइवर – जिसकी कथित तौर पर लिंचिंग की गई. मिली जानकारी के मुताबिक लखीमपुर (Lakhimpur Kheri Violence) में किसानों का विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) 25 सितंबर को शुरू हुआ था, जब केंद्रीय मंत्री ने संपूर्णानगर इलाके में बयान दिया कि ‘किसान या तो सुधर जाएं या उन्हें सुधार दिया जाएगा.’ दरअसल केंद्रीय मंत्री का ये बयान तब आया था, जब एक कार्यक्रम में जाते हुए अजय मिश्रा (Ajay Mishra Teni) को किसानों ने काले झंडे दिखाए. इसके बाद से किसान तेनी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि तेनी ने कहा कि किसानों ने उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया.
हालांकि स्थितियां तब बिगड़ीं जब उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या (Keshav Prasad Maurya) को रविवार को तेनी की उपस्थिति में एक सरकारी प्रोजेक्ट का अनावरण करने के लिए लखीमपुर आना था. दूसरी ओर किसानों ने रविवार की सुबह से ही लखीमपुर में स्थित हेलीपैड पर कब्जा जमा लिया था, इसी हेलीपैड पर केशव प्रसाद मौर्या का हेलिकॉप्टर लैंड करने वाला था. किसानों द्वारा हेलिपैड पर कब्जा किए जाने के बाद उपमुख्यमंत्री को सड़क का रास्ता चुनना पड़ा.
केशव मौर्या और तेनी ने दोपहर के समय लखीमपुर में प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया और इसके बाद केंद्रीय मंत्री के पैतृक गांव बनवीरपुर के लिए रवाना हुए. पैतृक गांव में केंद्रीय मंत्री ने कुश्ती चैंपियनशिप का आयोजन किया हुआ था. इससे पहले कि ये सब होता, दोपहर के 3 बजे के करीब तिकुनिया में घटना हो गई, जिसके बाद से लखीमपुर में माहौल गरमाया हुआ है.
बयानों में विरोधाभास
किसानों का दावा है कि तेनी के बेटे आशीष कुमार मोनू हथियारबंद समर्थकों के साथ उस गाड़ी में सवार थे, जिसने कथित रूप से किसानों को रौंद दिया. घटना में चार किसानों की मौत हो गई. किसानों का कहना है कि मोनू मौके से भागने में कामयाब रहा. किसानों ने मंत्री और उनके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज कराया है और इलाके में मौजूद अग्रसेन इंटर कॉलेज में चार किसानों के शव के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं आक्रोशित किसानों ने दो वाहनों को आग के हवाले कर दिया.
दूसरी मंत्री ने घटना को दुर्घटना बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ता अपनी गाड़ियों के साथ डिप्टी सीएम को लेने जा रहे थे, इसी बीच किसानों ने पत्थर से उनपर हमला कर दिया. एक पत्थर ड्राइवर को लगा और वह घायल हो गया, जिसके चलते गाड़ी पर से नियंत्रण छूट गया और वाहन किसानों के ऊपर चढ़ गया. मंत्री ने कहा कि ड्राइवर और तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं को किसानों ने गाड़ी से खींचकर निकाला और उनकी लिंचिंग कर दी गई. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनका बेटा ना तो गाड़ी में और ना ही स्पॉट पर मौजूद था.
घटनास्थल से सामने आए वीडियोज में देखा गया है कि तिकुनिया में बीजेपी कार्यकर्ताओं को आक्रोशित किसानों ने मरने तक पीटा है. यूपी पुलिस इस मामले में सजगता के साथ जांच कर रही हैं और उपलब्ध फुटेज की जांच की जा रही है. साथ ही मामले से जुड़े लोगों के बयान भी दर्ज किए जा रहे हैं. लखीमपुर में तनाव को देखते हुए नेताओं को घटनास्थल पर जाने से रोक दिया गया है और लोगों से अफवाहों पर ध्यान ना देने को कहा गया है.
राजनीतिक रस्साकशी जारी
हालांकि तमाम प्रतिबंधों और पुलिस की सक्रियता के बीच नेता लखीमपुर पहुंचने के प्रयास में लगे हुए हैं. यूपी विधानसभा चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं और ऐसे में ये मामला सियासी तौर पर भड़क सकता है. कांग्रेस महासचिव और यूपी की इंचार्ज प्रियंका गांधी वाड्रा रविवार रात को लखनऊ पहुंचीं और देर रात को ही लखीमपुर के लिए रवाना हो गईं. हालांकि उन्हें सीतापुर में पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
वहीं लखनऊ में समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. अखिलेश यादव सोमवार को लखीमपुर खीरी जाने वाले थे. बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा और पूर्व सपा नेता शिवपाल सिंह यादव को भी लखनऊ आवास से बाहर निकलने नहीं दिया गया है. इन नेताओं के भी लखीमपुर खीरी जाने की योजना थी.