दिल्ली हाईकोर्ट ने दलाई लामा पर पॉक्सो के तहत कार्रवाई की मांग को कैसे देखा?

नाबालिग बच्चे के होठों को चूमने दिख रहे थे। इस वीडियो पर काफी विवाद हुआ था। दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई मामले में उन पर पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा चालने के मांग की गई थी।

दलाई लामा के एक वीडियो के वायरल होने पर एक विवाद उठा था, जिसमें उन्हें एक नाबालिग बच्चे के होंठों को चूमते हुए दिखाया गया था। इस घटना के पश्चात्, दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें दलाई लामा पर भारतीय कानून के तहत कार्यवाही की मांग की गई।

वीडियो में दिखाई देने वाले दृश्य के बाद, सामाजिक मीडिया और अन्य मीडिया में इस विवाद का विस्तार हुआ। वहाँ से यह मुद्दा गणराज्य के न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत ले जाया गया, जहां एक नागरिक ने यह दावा किया कि दलाई लामा ने नाबालिग बच्चे के होंठों को चूमने का अपराध किया है और इसके लिए उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान, दलाई लामा की पक्ष से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि वीडियो का आवश्यक संदर्भ नहीं था और उनके इस हरकत का मतलब भगवान की कृपा और आशीर्वाद के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। उनके वकीलों ने बताया कि दलाई लामा का उद्देश्य सिर्फ भले के लिए था और उन्होंने किसी भी तरह की अनुचितता की कोशिश नहीं की।

हाईकोर्ट ने इस मामले में विचार किया और याचिका को खारिज कर दिया, जिससे इस मामले में कोई कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं मानी गई। इस प्रकार, दलाई लामा को इस विवाद से निकालने का निर्णय दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया, जो समाज में भारी हवाओं को बांधने में मददगार साबित हुआ।

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