बिना चुनावों के ही भाजपा ने कैसे जीत ली अरुणाचल प्रदेश विधानसभा की 8 सीटें
देशभर में लोकसभा चुनावों को जीतने की होड़ में सभी पार्टियां लगी है, कोई जनता से मिल रहा है तो कोई घोटालों को पर्दाफाश कर रहा है तो कोई जेल से सरकार चला रहा है। पार्टियां अलग-अलग तरीकों से मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में लगी है, ताकि वह चुनाव जीत सकें। ऐसे में अगर कोई चुनाव लड़ने से पहले ही चुनाव जीत जाए, तो इसे आप क्या कहेंगे?
कुछ ऐसा ही हुआ है अरुणाचल प्रदेश में, वहां लोकसभा की दो सीटों और विधानसभा की 60 सीटों के लिए एक साथ चुनाव है। ऐसे में सभी पार्टियां अपने नामांकन दाखिल कर रहे हैं, लेकिन भाजपा के 8 प्रत्याशी का तो नामांकन भरने के बाद जीत लगभग तय हो गई है।
इसमें मुख्यमंत्री पेमा खांडू सहित 8 उम्मीदवारों की जीत तय है क्योंकि विपक्षी दलों के उम्मीदवारों ने या तो नाम वापस ले लिए है या फिर उनके खारिज हो गए हैं।
इसमें मुख्यमंत्री और डिप्टी मुख्यमंत्री के अलावा ताली से जिक्के ताको, तलिहा से न्यातो डुकोम, सागली से रातू तेची और रोइंग से मुत्चू मीठी के जीतने की संभावना मानी जा रही है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि अकसर नगर निगम या अन्य स्थानीय चुनावों में तो ऐसा होता है कि एक उम्मीदवार के प्रभाव के चलते विपक्षी अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले लेती है। लेकिन लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में ऐसा देखने को लगभग न के बराबर ही मिलता है। अरुणाचल प्रदेश में इससे पहले भी ऐसी स्थिति देखने को मिली, जब प्रत्याशी को निर्विरोध चुन लिया गया था।