चौका-चूल्हा छोड़ सोरों तीर्थ आंदोलन के लिए सड़कों पर आयी ग्रहणियां
कासगंज। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तीर्थ नगरी सोरों पिछली सरकारों की लगातार उपेक्षा का शिकार होती चली आई है सरकारों ने चोरों को तीर्थ स्थल घोषित करने के लिए कोई पहल नहीं की है। इस मांग को लगातार करते आए लोगों को हमेशा निराशा ही हाथ लगी है। कस्बे के ही संगठन अखंड आर्यावर्त निर्माण संघ इस मांग को फिर से दोहराया है।
जनपद के विभिन्न संगठनों ने समर्थन भी दिया है रविवार की दोपहर इस मांग को लेकर सोरों की ग्रहणी या चौका चूल्हा छोड़ जनसंपर्क अभियान में जुट गई। बड़ी संख्या में ग्रहणियो ने इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पोस्टकार्ड लिखकर भेजे हैं।
रविवार को घरेलू महिलाओं का नेतृत्व कर रही श्रीमती अनीता उपाध्याय ने बताया है कि वे अपनी सहयोगी के साथ डोर टू डोर जाकर सोरों तीर्थ आंदोलन से संबंधित ग्रहणीयों को जानकारी दे रही हैं। साथ ही उन्हें जागरूक कर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पोस्टकार्ड लिखकर भेजने के लिए प्रेरित कर रही हैं। ग्रहणी मंजू अग्रवाल ने कहा है कि शूकर क्षेत्र सोरों धर्म स्थली है। यहां आने वाले परदेसी यजमानो से ही हमारी रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। यदि सरकार इस मांग को पूरा कर सोरों को तीर्थ स्थल घोषित करेगी तो हमारी आने वाली पीढ़ियां काफी सुधरेंगी हमारा रोजी रोजगार संचालित रहेगा।
सृष्टि गुप्ता का कहना है कि पौराणिक स्थल शूकर क्षेत्र सोरों का हिंदू धर्म के समस्त पुराणों में अभिलेखों में स्पष्ट रूप से नाम दर्ज है। विश्व के सभी तीर्थों से सोरों श्रेष्ठ है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकारें यहां का उपेक्षा करती आई है, लेकिन अब हम ग्रहणी हुई इस आंदोलन को पूर्ण समर्थन देकर तीर्थ स्थल घोषित कराने की मांग कर रहे हैं। मोनिका अग्रवाल का कहना है कि सोरों तीर्थ स्थल घोषित कराने के लिए जब नारी शक्ति ने इस आंदोलन की कमान संभाल ली है। तो वह कस्बे के अलावा तहसील, जनपद एवं प्रदेश स्तर तक की महिलाओं को एकजुट कर इस मांग के लिए प्रेरित करेंगे। जिससे सोरों को तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त हो सके।
आन्दोलन संयोजक भूपेश शर्मा ने बताया कि रविवार को समाजसेवी अमिता उपाध्याय के नेतृत्व में शहर की महिलाओं मैं बड़ी संख्या में आंदोलन के समर्थन दिया है। उन्होंने बताया सोरों तीर्थ स्थल घोषित करने के लिए 30 सितंबर तक पोस्टकार्ड अभियान चलाया जाएगा। यदि 01 अक्टूबर तक सरकार इस गंभीर प्रकरण को शीघ्र संज्ञान में नहीं लेती हैं। उसके बाद 2 अक्टूबर को सांकेतिक मौन धरना, 4 अक्टूबर को मातृशक्ति धरना, 6 अक्टूबर से 3 दिन से क्रमिक अनशन और 10 अक्टूबर को आमरण अनशन किया जाएगा।