ध्वजवंधन कानूनी या गैर कानूनी 1992
भारत को आज़ादी 15 अगस्त 1947 मिली पर ध्वजवंधान की आजादी क्यों नहीं भारत के आम नागरिक को?
भारत को आज़ादी 15 अगस्त 1947 मिली पर ध्वजवंधान की आजादी क्यों नहीं भारत के आम नागरिक को? 1992 जब भारत को आज़ाद हुए 44 साल गुज़र गए तब भारत लौटे नवीन जिंदल आज के सबसे बड़े व्यापारी। नवीन जिंदल जी ने अपने कारखाने पर तिरंगा लहराया जो कि रायगढ़ में था , उनके इस प्रदर्शन पर बिलासपुर आयुक्त द्वारा आपत्ति उठाई गई। नवीन जिंदल जी द्वारा सवाल पूछे जाने पर अधिकारियों द्वारा एक ही जवाब दिया गया कि “एक निजी नागरिक को कुछ खास दिनों को छोड़कर भारतीय झंडा फहराने की अनुमति नहीं है”। नवीन जिंदल जी द्वारा इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कि। लेकिन इसके द्वरान नवीन जिंदल जी ने तिरंगे को नही झुकाया उनकी नज़र में यह उनके देश प्रेम का अपमान था। यह याचिका सुप्रीमकोर्ट तक गई और आखिर में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा माना कि राष्ट्रीय ध्वज फहराना अभिव्यक्ति का प्रतीक था जो संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आता है। आज की तारीख में जिंदल स्टील के मालिक नवीन जिंदल जी के कारण ही हर घर तिरंगा फैराया जाता है। उनके देश प्रेम के इस बड़े कार्य को आज के समय में सब बड़े पहनाम पर चर्चा करते है।