आज का इतिहास:द्वितीय विश्वयुद्ध
15 लाख सैनिकों के साथ हिटलर ने पोलैंड पर किया हमला, यहीं से शुरू हुआ था इतिहास का सबसे लंबा चलने वाला युद्ध
1 सितंबर 1939। हिटलर के नेतृत्व में करीब 15 लाख सैनिकों ने इस दिन पोलैंड पर आक्रमण कर दिया। पोलैंड की सेना ने जर्मनी का सामना तो किया, लेकिन टिक नहीं सकी और अक्टूबर तक पोलैंड पर जर्मनी का कब्जा हो गया।
पोलैंड पर जर्मनी के हमले के दो दिन बाद ही ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी पर जवाबी हमला कर दिया। इस तरह धीरे-धीरे इस युद्ध में बाकी देश भी कूदते चले गए और ये इतिहास का सबसे लंबा चलने वाला युद्ध बन गया। हम इसे दूसरे विश्वयुद्ध के नाम से जानते हैं।
जर्मन सैनिक पोलैंड के बॉर्डर को तोड़ते हुए।
हालांंकि, दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत का ये केवल तात्कालिक कारण था। माना जाता है कि दूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पहले विश्वयुद्ध के खत्म होने के साथ ही तैयार हो गई थी।
पहले विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में हिटलर और मुसोलिनी जैसे तानाशाह सत्ता में आए। दोनों ही राष्ट्रवाद की उग्र भावना को भड़काकर सत्ता में आए थे। पेरिस शांति सम्मेलन में इटली को कुछ खास फायदा नहीं हुआ था, इस वजह से इटली में असंतोष की भावना थी। जर्मनी में हिटलर भी इसी तरह कुछ कर रहा था।
एक दूसरी वजह, साम्राज्यवाद की भावना को भी माना जाता है | 1931 में जापान ने चीन पर आक्रमण कर दिया और मंचूरिया को अपने कब्जे में ले लिया। 1935 में इटली ने इथोपिया पर और 1938 में जर्मनी ने ऑस्ट्रिया पर हमला कर अपनी साम्राज्यवादी नीतियों का प्रदर्शन किया था।
इस तरह जर्मनी, इटली और जापान तीनों का एक गुट बन गया, जिसे धुरी राष्ट्र के नाम से जाना गया। दूसरी तरफ फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका और सोवियत संघ का अलग गुट बना, जिसे मित्र राष्ट्र के नाम से जाना गया।
धीरे-धीरे इस युद्ध का दायरा फैलता गया और 60 से भी ज्यादा देश इसमें शामिल हो गए। 6 साल तक ये युद्ध चलता रहा। मरने वालों की कोई गिनती नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इस युद्ध में 7 करोड़ से भी ज्यादा लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हो गए। 6 साल बाद जापान पर परमाणु हमले के बाद इस युद्ध का अंत हुआ। ये इतिहास का सबसे विनाशकारी युद्ध साबित हुआ।
65 साल पहले बनी LIC
भारत में पहली बीमा कंपनी साल 1818 में स्थापित हुई। इसका नाम था- ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कलकत्ता। उस समय ये कंपनी भारतीयों का बीमा नहीं करती थी। बाद में इस कंपनी ने भारतीयों का बीमा करने की शुरुआत की, लेकिन भारतीयों से ज्यादा प्रीमियम रेट वसूला जाता था। 1870 में बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसायटी की स्थापना हुई।
स्वदेशी आंदोलन के बाद देश में इंश्योरेंस कंपनियों की संख्या बढ़ती गई। 1938 तक भारत में 176 बीमा कंपनियां थीं जिनका सालाना कारोबार करीब 300 करोड़ रुपए का था। धीरे-धीरे इन कंपनियों के राष्ट्रीयकरण की मांग बढ़ने लगी।
जनवरी 1956 में भारत सरकार ने उस समय देश में कारोबार कर रही 245 बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया, लेकिन अभी तक ये कंपनियां एक संगठन के तले काम नहीं कर रही थीं। 19 जून 1956 को भारत सरकार ने एलआईसी एक्ट पारित किया। इसी एक्ट के तहत 1 सितंबर 1956 को जीवन बीमा निगम, यानी एलआईसी बनी।
आज देशभर में LIC के 2 हजार से भी ज्यादा ऑफिस हैं। 10 लाख से ज्यादा एजेंट वाली एलआईसी की देश के बीमा कारोबार में 77% हिस्सेदारी है।
दुष्यंत कुमार का जन्मदिन
फिल्म ‘मसान’ का एक गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ था। गाने के बोल थे – “तू किसी रेल-सी गुजरती है, मैं किसी पुल-सा थरथराता हूं।” इस गीत को लिखने वाले मशहूर कवि दुष्यंत कुमार का आज जन्मदिन हैं। 1 सितंबर 1933 को उत्तरप्रदेश के बिजनौर में उनका जन्म हुआ था।
दुष्यंत कुमार ने न सिर्फ प्रेम पर अपनी कलम चलाई बल्कि क्रांतिकारी अंदाज में कहा- “कैसे आकाश में सूराख़ हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’।
2009 में भारत सरकार ने दुष्यंत कुमार के नाम पर डाक टिकट जारी किया।
दुष्यंत कुमार या दुष्यंत कुमार त्यागी शुरुआत में दुष्यंत कुमार परदेशी नाम से लिखा करते थे। भोपाल उनकी कर्मभूमि रही। वे आपातकाल में संस्कृति विभाग में काम करते हुए भी सरकार के खिलाफ लिखते रहे, जिसका खामियाजा भी उन्हें उठाना पड़ा। सिर्फ 42 साल की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से उनका निधन हो गया।
1 सितंबर के दिन को इतिहास के पन्नों में इन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…
2019: ट्वीटर के सीईओ और को-फाउंडर जैक डोर्सी का ट्वीटर अकाउंट हैक हो गया।
2014: बिहार में नालंदा यूनिवर्सिटी को दोबारा शुरू किया गया।
2005: सद्दाम हुसैन ने सशर्त रिहाई की अमेरिकी पेशकश ठुकराई।
1997: साहित्यकार महाश्वेता देवी और पर्यावरणविद एमसी मेहता को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया।
1994: उत्तरी आयरलैंड में आयरिश रिपब्लिकन आर्मी ने युद्ध विराम लागू किया।
1962: महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शिवाजी विद्यापीठ की स्थापना हुई।