आज का इतिहास

110 साल पहले पेरिस के म्यूजियम से चोरी हो गई थी मोनालिसा की पेंटिंग, 2 साल तक पुलिस नहीं लगा सकी चोर का पता

दुनियाभर में कहीं भी पेंटिंग की बात हो तो सभी की जुबान पर सबसे पहला नाम मोनालिसा का आता है। अपनी मुस्कान, बनावट, कलर और खूबसूरती के अलावा ये पेंटिंग एक और वजह से भी फेमस है। आज ही के दिन 1911 में मोनालिसा की ये पेंटिंग लूव्र म्यूजियम से चोरी हो गई थी।

इस घटना ने मोनालिसा की पेंटिंग को इतना फेमस कर दिया कि इसकी तस्वीरें दुनिया के लगभग हर अखबार में छपी। चोरी का ये मामला इतना हाई प्रोफाइल बन गया कि जहां पेंटिंग लगी थी उस खाली जगह को देखने हजारों लोग आने लगे।

पेंटिंग चोरी होने के 1 दिन बाद तक किसी को पता नहीं था कि मोनालिसा की पेटिंग गायब है। दरअसल म्यूजियम में आर्टवर्क के लिए पेंटिंग्स को एक जगह से दूसरी जगह लगाया जाता था। गार्ड ने सोचा कि मोनालिसा की पेंटिंग को भी आर्टवर्क के लिए कहीं ले जाया गया होगा।

उसने जब स्टाफ से इस बारे में बात की तो किसी ने भी मोनालिसा की पेंटिंग को हटाने से इनकार कर दिया। अब तक ये खबर पक्की हो गई थी कि मोनालिसा की पेंटिंग चोरी हो गई है। शाम को पुलिस ने भी इस खबर की पुष्टि कर दी।

पुलिस को उम्मीद थी कि 48 घंटे के भीतर ही चोर फिरौती के लिए फोन करेगा, लेकिन 2 दिन बीतने के बाद भी पुलिस के पास फिरौती से जुड़ा कोई फोन नहीं आया। पुलिस ने जांच शुरू की। चोर इतना शातिर था कि उसने पुलिस के लिए बहुत कम सुराग छोड़े थे।

म्यूजियम के बाहर सीढ़ी पर दरवाजे का नॉब, लकड़ी की फ्रेम और कांच का टुकड़ा पड़ा था। आसपास के लोगों से पूछताछ की गई। एक प्लंबर ने बताया कि उसने दरवाजे की नॉब को खोलने में एक व्यक्ति की मदद की थी। लकड़ी की फ्रेम पर एक शख्स के फिंगर प्रिंट थे। म्यूजियम में काम करने वाले सभी लोगों के फिंगर प्रिंट से उसे मैच किया गया, लेकिन वो किसी का नहीं था।

पुलिस ने मोनालिसा की पेंटिंग के 6 हजार पोस्टर्स लोगों में बंटवाए। पूरे म्यूजियम की छानबीन की गई। इस छानबीन में मोनालिसा की पेंटिंग तो नहीं मिली, लेकिन पहले की गुम हुई कुछ चीजें जरूर मिल गईं। 7 सितंबर को पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया।

इस संदिग्ध ने पुलिस को बताया कि चोरी मशहूर पेंटर पाब्लो पिकासो ने की है। पुलिस ने पिकासो से भी पूछताछ की, लेकिन उनके पास से कोई जानकारी नहीं मिली। दो साल तक पुलिस जांच करती रही, लेकिन पुलिस के हाथों से चोर अभी तक दूर था।

1914 में पेंटिंग को दोबारा म्यूजियम में लगाया गया। तब से अब तक ये पेंटिंग लूव्र म्यूजियम में ही लगी है।

इसी बीच फ्लोरेंस के एक आर्ट डीलर के पास एक दिन एक लेटर आया। इस लेटर को विन्सेन्जो नाम के एक शख्स ने भेजा था जिसमें लिखा था कि उसके पास मोनालिसा की पेंटिंग है। डीलर ने विन्सेन्जो के साथ पेंटिंग खरीदने के लिए मीटिंग फिक्स की। इसी मीटिंग में विन्सेन्जो को गिरफ्तार कर लिया गया।

विन्सेन्जो म्यूजियम में पेंटिंग के लिए कांच की फ्रेम बना रहा था। इसी दौरान उसने पेंटिंग को चुरा लिया था। विन्सेन्जो को एक साल 15 दिन की सजा सुनाई गई, लेकिन 7 महीने बाद ही रिहा कर दिया गया।

1986: एक झील की वजह से रातोंरात मारे गए थे 1700 लोग

मध्य अफ्रीका में एक देश है – कैमरून। इसके उत्तर-पूर्वी इलाके में न्योस नाम की एक झील है। झील के आसपास कई छोटे-छोटे गांव है। 21 अगस्त 1986 की रात इन गांवों के लोग खेती-किसानी के काम खत्म कर घर लौटे और सो गए। अगली सुबह झील के आसपास 25 किलोमीटर तक इंसानों और मवेशियों की लाशें फैली थीं। कोई समझ नहीं पा रहा था क्या हुआ। भूत-प्रेत, शैतानी हमले और सीक्रेट एटॉमिक एक्सपेरिमेंट की अफवाहें फैलने लगीं। करीब 1700 लोग और 3 हजार मवेशियों की लाशें घर, मैदान और खेतों में फैली पड़ी थीं।

झील के आसपास इस तरह पड़ी थीं मवेशियों की लाशें।

रातोंरात हुई इस घटना की वजह किसी को नहीं पता थी। जो लोग मरे उनके मुंह से झाग और नाक से खून निकल रहा था। हादसे की जांच शुरू की गई। जांच में खुलासा हुआ कि ये सब मौतें न्योस झील की वजह से हुई थी।

दरअसल इस इलाके में भूकंप और ज्वालामुखी आते रहते हैं। इस झील का निर्माण भी ज्वालामुखी फटने की वजह से ही हुआ था। वैज्ञानिकों ने जांच में पाया कि झील के तल में कार्बन डाई ऑक्साइड इकट्ठा हो गई थी। जिस रात ये घटना हुई उस रात एक हल्का भूकंप आया था। इस भूकंप की वजह से झील के तल में हलचल हुई और कार्बन डाई ऑक्साइड का ये भंडार बाहर आ गया। पानी के साथ मिलकर इस गैस ने मौत का बादल बना लिया और ये बादल आसपास के इलाकों में फैल गए। इससे वातावरण में ऑक्सीजन की कमी हो गई और हजारों लोगों ने घुट-घुटकर दम तोड़ दिया।

आज वर्ल्ड सीनियर सिटीजन डे

हर साल 21 अगस्त को पूरी दुनिया में वर्ल्ड सीनियर सिटीजन डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने की थी। साल 1991 में पहली बार इस दिन को मनाया गया था।

इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य समाज को बुजुर्ग लोगों की स्थिति के बारे में जागरूक करना है। समाज में न्यूक्लियर फैमिली के बढ़ते चलन की वजह से बुजुर्ग लोगों की स्थिति लगातार खराब हो रही है।

UN के मुताबिक अगले 3 दशक में पूरी दुनिया में बुजुर्गों की संख्या 2 गुना हो जाएगी। ईस्ट और साउथ-ईस्ट एशिया में बुजुर्गों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी होगी। साथ ही कोविड-19 की वजह से भी बुजुर्गों के रहन-सहन पर खासा असर पड़ा है। पूरी दुनिया में इस दिन को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

इतिहास में 21 अगस्त के दिन हुईं महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाएं

2006: भारत रत्न से सम्मानित शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खान का निधन हुआ।

2006: सद्दाम हुसैन पर नरसंहार को लेकर ट्रायल शुरू हुआ।

1972: भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम पारित किया गया।

1957: सोवियत संघ ने दुनिया की पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल R-7 का परीक्षण किया।

1915: पहले विश्व युद्ध के दौरान इटली ने तुर्की के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

1790: जनरल मीडोस की अगुआई में ब्रितानी सेना ने तमिलनाडु के दिंदीगुल पर कब्जा कर लिया।

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