आज का इतिहास
खान अब्दुल गफ्फार खान भारत रत्न पाने वाले पहले गैर-भारतीय बने; बंटवारे के बाद पाकिस्तान गए, उसने कई साल जेल में रखा
फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान को आज ही के दिन 1987 में भारत रत्न दिया गया था। वे पहले गैर-भारतीय थे, जिन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। खान अब्दुल गफ्फार खान का जन्म 6 फरवरी 1890 को हुआ था। उनके पिता ने विरोध के बावजूद उनकी पढ़ाई मिशनरी स्कूल में कराई थी। आगे की पढ़ाई के लिए वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में गए।
20 साल की उम्र में उन्होंने अपने गृहनगर उत्मान जई में एक स्कूल खोला जो थोड़े ही महीनों में चल निकला, पर अंग्रेजी हुकूमत ने उनके स्कूल को 1915 में प्रतिबंधित कर दिया। अगले 3 साल तक उन्होंने पश्तूनों को जागरूक करने के लिए सैकड़ों गांवों की यात्रा की। कहा जाता है कि इसके बाद लोग उन्हें ‘बादशाह खान’ नाम से पुकारने लगे थे।
उन्होंने सामाजिक चेतना के लिए ‘खुदाई खिदमतगार’ नाम के एक संगठन की भी स्थापना की। इस संगठन की स्थापना महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्याग्रह जैसे सिद्धान्तों से प्रेरित होकर की गई थी।
गांधी जी के साथ खान अब्दुल गफ्फार खान।
नमक सत्याग्रह के दौरान गफ्फार खान को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके विरोध में खुदाई खिदमतगारों के एक दल ने प्रदर्शन किया। अंग्रेजों ने इन निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया, जिसमें 200 से ज्यादा लोग मारे गए।
जब ऑल इंडिया मुस्लिम लीग भारत के बंटवारे पर अड़ी हुई थी, तब बादशाह खान ने इसका सख्त विरोध किया। जून 1947 में उन्होंने पश्तूनों के लिए पाकिस्तान से एक अलग देश की मांग की, लेकिन ये मांग नहीं मानी गई। बंटवारे के बाद वे पाकिस्तान चले गए।
पाकिस्तान सरकार उन्हें अपना दुश्मन समझती थी, इसलिए वहां उन्हें कई साल जेल में रखा गया। 1988 में हाउस अरेस्ट के दौरान पाकिस्तान में ही उनका निधन हो गया। जिंदगीभर अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले बादशाह खान की अंतिम यात्रा भी अहिंसक न रह सकी। उनकी अंतिम यात्रा में 2 विस्फोट हुए, जिसमें 15 लोग मारे गए।
1947: भारत का बंटवारा
सालों तक भारत पर राज करने के बाद अंग्रेज भारत को आजाद करने के लिए राजी तो हुए थे, लेकिन ये आजादी अपने साथ विभाजन की त्रासदी भी लेकर आई थी। 1947 में आज ही के दिन भारत का बंटवारा हुआ और एक नया देश पाकिस्तान बना। आज पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत की आजादी की घोषणा की और इसकी जिम्मेदारी सौंपी लॉर्ड माउंटबेटन को।
माउंटबेटन ने एक प्लान बनाया जिसे 3 जून प्लान भी कहा जाता है। इसमें कहा गया कि भारत की स्थिति को देखते हुए केवल विभाजन ही विकल्प है। भारत आजाद तो होगा, लेकिन साथ ही उसका विभाजन भी होगा।
इस प्लान में रियासतों को भी सुविधा दी गई कि वे भारत या पाकिस्तान के साथ मिल सकती हैं या आजाद रह सकती हैं। 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश पार्लियामेंट ने इस बिल को पास कर दिया। भारत की आजादी और विभाजन पर ब्रिटिश पार्लियामेंट की मुहर लग गई।
विभाजन ने लाखों लोगों को अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया था।
भारत के आधुनिक इतिहास में विभाजन को सबसे त्रासद घटना के तौर पर गिना जाता है। राजनीतिक कारणों से होने वाला ये अब तक का सबसे बड़ा विस्थापन है। बंटवारे के दौरान दंगे भी हुए जिसमें लाखों लोग मारे गए।