आज का इतिहास ईस्ट इंडिया कंपनी
413 साल पहले सूरत पहुंचा था ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज, व्यापार करने आई इस कंपनी के जरिए भारत पर काबिज हुए
ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज ‘हेक्टर’ आज ही के दिन सूरत के तट पर पहुंचा था। इसे ही ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में आगमन माना जाता है। उस समय कोई नहीं जानता था कि व्यापार के लिए आई ये कंपनी करीब 200 सालों तक भारत पर राज करेगी। इस घटना ने भारत के भूगोल, इतिहास दोनों को बदलकर रख दिया।
एक वक्त तक कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज कभी डूबता नहीं है, लेकिन 16वीं शताब्दी में अंग्रेजी साम्राज्य का सूरज डूबने ही वाला था। पुर्तगाल और डच लगातार अपने व्यापारिक साम्राज्य को फैला रहे थे। ब्रिटिशर्स केवल यूरोप तक ही सीमित थे और वहां भी उनको व्यापार में कोई खास फायदा नहीं हो रहा था। उन्हें एक बड़े बाजार की जरूरत थी।
व्यापारियों ने इंग्लैंड की महारानी से भारत में व्यापार करने की अनुमति मांगी। साल 1600 में एक कंपनी बनाई गई। कंपनी को मुख्यत: साउथ और साउथ ईस्ट एशिया में व्यापार करने के उद्देश्य से बनाया गया था, इसलिए कंपनी का नाम ईस्ट इंडीज पड़ा। 125 शेयरहोल्डर्स और 72 हजार स्टर्लिंग पाउंड की कैपिटल से कंपनी बनकर तैयार हो गई। कंपनी को रॉयल चार्टर प्राप्त था यानी उसे ब्रिटेन के शाही परिवार का संरक्षण प्राप्त था।
24 अगस्त 1608 को कंपनी का पहला जहाज सूरत के तट पर आया। इस जहाज के कैप्टन का नाम था हॉकिंस। उस समय मुगल सम्राट जहांगीर का शासन था, इसलिए हॉकिंस ने जहांगीर से मुलाकात की। कंपनी के लिए एक समस्या ये थी कि सूरत में पहले से पुर्तगाली व्यापार कर रहे थे। ऐसे में हॉकिंस के लिए भारत में व्यापार की अनुमति प्राप्त करना इतना आसान नहीं था।
सर थॉमस रो।
ब्रिटिशर्स ने उसके बाद संसद के सदस्य और राजदूत सर थॉमस रो को राजपरिवार के शाही दूत के रूप में भारत भेजा। सर थॉमस रो 1615 में भारत आए और राजा से मिले। वे मुगल राजा को रिझाने के लिए अपने साथ बेशकीमती तोहफे लेकर आए थे। अगले 3 साल में ही रो ने मुगल शासन से भारत में व्यापार के लिए शाही फरमान हासिल कर लिए थे।
कंपनी के लिए अब व्यापार के रास्ते पूरी तरह साफ थे। कंपनी ने तेजी से भारत में अपने पैर पसारना शुरू किए। हर बड़े बंदरगाह पर कंपनी ने अपनी फैक्ट्री स्थापित की। 1646 तक ही कंपनी देशभर में 23 फैक्ट्रियां स्थापित कर चुकी थी। मुगल साम्राज्य की कमजोरियों का फायदा उठाकर धीरे-धीरे कंपनी ने शासन-प्रशासन में भी अपना दखल बढ़ाना शुरू कर दिया और एक व्यापारिक कंपनी से अलग प्रशासनिक कंपनी भी बन गई।
1968 : दुनिया की 5वीं थर्मोन्यूक्लियर शक्ति बना था फ्रांस
आज ही के दिन फ्रांस ने अपना पहला हाइड्रोजन बम टेस्ट किया था। इसी के साथ फ्रांस थर्मोन्यूक्लियर पावर से लैस दुनिया का पांचवां देश बन गया था।
दरअसल दूसरे विश्वयुद्ध के बाद देशों के बीच शीतयुद्ध शुरू हो चुका था। इस शीतयुद्ध में देशों के बीच स्पेस से लेकर न्यूक्लियर पावर बनने की होड़ लगी थी। अक्टूबर 1964 में चीन ने न्यूक्लियर टेस्ट कर न्यूक्लियर पावर बनने की रेस में अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर दी थी।
फ्रांस फरवरी 1960 में न्यूक्लियर बम टेस्ट कर चुका था और अब हाइड्रोजन बम बनाने की कोशिश कर रहा था। फ्रांस ने इस पूरे मिशन को नाम दिया था – ऑपरेशन केनोपस।
फ्रांस नॉर्वे और अमेरिका की मदद से रेडियोएक्टिव आइसोटोप ट्रिटीयम को बनाने में कामयाब हो गया था। ट्रिटीयम न्यूक्लियर बम को बनाने के लिए एक बेहद अहम मटेरियल है।
ट्रिटीयम के मिलने के बाद फ्रांस के लिए हाइड्रोजन बम बनाने का रास्ता इतना मुश्किल नहीं रहा। अगस्त 1964 तक बम बनकर तैयार था। फ्रांस ने टेस्ट के लिए फंगाटोफा नाम के एक आइलैंड को चुना। 3 टन के इस बम को एक हाइड्रोजन बलून के जरिए 520 मीटर की ऊंचाई से गिराया गया। बम फटते ही 2.6 मेगाटन ऊर्जा वातावरण में रिलीज हुई। ये हिरोशिमा पर गिराए गए बम से करीब 200 गुना ज्यादा थी।
विस्फोट के बाद आसमान में उठा धूल और धुएं का गुबार।
बम के रेडियोएक्टिव मटेरियल से पूरा आइलैंड प्रदूषित हो गया। यहां के वातावरण में रेडियोएक्टिविटी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि अगले 6 साल तक कोई भी इंसान इस आइलैंड पर जा नहीं सका।
1995 – माइक्रोसॉफ्ट ने रिलीज किया था Windows 95
टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने आज ही के दिन ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 95 को आम लोगों के लिए जारी किया था। ये इतना ज्यादा पॉपुलर हुआ कि 5 हफ्ते में ही इसकी 70 लाख से ज्यादा कॉपियां बिक गई थीं। इसे माइक्रोसॉफ्ट का सबसे सफल ऑपरेटिंग सिस्टम भी माना जाता है। इसके आने के बाद कम्प्यूटर के ग्राफिक यूजर इंटरफेस में बड़े बदलाव हुए।
विंडोज 95 की लॉन्चिंग सेरेमनी के दौरान बिल गेट्स।
माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 95 में कई फीचर्स ऐसे शामिल किए थे जो पहले किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम में नहीं थे। स्टार्ट बटन, मेन्यू और टास्कबार पहली बार विंडोज 95 में ही दिए गए थे और ये आज तक माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम का हिस्सा हैं।
इसके अलावा विंडोज 95 में एक बड़ा फीचर प्लग एंड प्ले का था। इससे ऑपरेटिंग सिस्टम खुद ही हार्डवेयर की पहचान कर उसे आसानी से इन्स्टॉल कर सकता था। MSN ऐप को भी एक खास आइकॉन के साथ डेस्कटॉप पर जोड़ा गया।
24 अगस्त के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…
2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त अरब अमीरात ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ से नवाजा।
2011: एपल के CEO स्टीव जॉब्स ने स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया। दो महीने बाद ही उनका निधन हो गया।
2006: इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने आधिकारिक तौर पर प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से बाहर कर दिया।
1989: नासा के वोयेजर-2 ने नेप्च्यून ग्रह की पहली क्लोज अप तस्वीरें खींचीं।
1974: फखरुद्दीन अली अहमद भारत के 5वें राष्ट्रपति बने।