आज का इतिहास:महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में किया था ‘ग्रेट मार्च’,

काले कानून के खिलाफ खड़े हुए थे 2 हजार भारतीय

मोहनदास करमचंद गांधी यदि दक्षिण अफ्रीका न जाते तो क्या वह महात्मा बन पाते? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब खुद गांधी जी भी शायद ही दे पाते। भारत आने से पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और नस्लभेद का विरोध किया। वहां रहकर उन्होंने भारतीयों ही नहीं बल्कि अन्य वंचित तबके के लोगों को भी न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया। ऐसा ही एक संघर्ष था द ग्रेट मार्च, जो महात्मा गांधी के लिए विदेश में सबसे बड़ी जीत बनकर उभरा।

मार्च 1913 में केप के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ऐसी सारी शादियां अवैध हैं जो ईसाई रीति-रिवाजों के मुताबिक नहीं हुई हैं। इसका मतलब यह हुआ कि ज्यादातर भारतीयों का विवाह अवैध हो गया। जब शादी ही अवैध तो उससे हुए बच्चे वैध कैसे रहते?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर यह होता कि भारतीय बच्चे अपने पुरखों की विरासत से ही बेदखल हो जाते, तब नागरिकों में आक्रोश फैल गया। दूसरी ओर नटाल की सरकार ने भारतीयों के खिलाफ मुकदमे चलाने शुरू कर दिए जो 3 पाउंड का वार्षिक टैक्स नहीं चुका पाए थे।

तब महात्मा गांधी ने नटाल और ट्रांसवाल में सत्याग्रह शुरू किया। 6 नवंबर 1913 को दमनकारी कानून के खिलाफ द ग्रेट मार्च निकाला। 2,000 से ज्यादा लोगों ने गांधीजी के नेतृत्व में नटाल तक मार्च किया। गांधीजी गिरफ्तार हुए। जमानत पर छूटे तो फिर मार्च में शामिल हो गए। फिर गिरफ्तार किए गए।

गांधी जी के ग्रेट मार्च के दौरान इकट्ठे हुए भारतीय। इस मार्च में 127 महिलाओं और 57 बच्चों ने भी हिस्सा लिया था।

यह सिलसिला टूटा और गांधीजी की जीत हुई। सरकार समझौते को राजी हुई। गांधीजी एवं दक्षिण अफ्रीकी सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर जनरल जॉन स्मिट्स में बातचीत हुई। भारतीय राहत विधेयक पास हुआ और भारतीय नागरिकों को काले कानून से आजादी मिली।

1860: अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने

1860 में अब्राहम लिंकन 6 नवंबर को अमेरिका के 16वें प्रेसिडेंट बने। रिपब्लिकन पार्टी के पहले प्रेसिडेंट रहे और उन्होंने न केवल अमेरिका को गृह युद्ध से उबारा बल्कि गुलामी प्रथा को बंद कर नए अमेरिका की नींव रखी। लिंकन का जन्म गरीब परिवार में हुआ था। वहां से उठकर अमेरिका जैसे देश के प्रेसिडेंट बनने तक का लिंकन का सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा।

अपने सबसे छोटे बेटे टेड के साथ लिंकन। उनके 4 बेटे थे।

एक महान विचारक के तौर पर उन्हें सदियों तक जाना जाएगा। लोकतंत्र की उनकी दी परिभाषा- जनता द्वारा, जनता के लिए जनता का शासन- आज भी सर्वमान्य है। माना जाता है कि लिंकन गरीब मुवक्किलों के केस मुफ्त में भी लड़ लेते थे। इस वजह से वे कभी सफल वकील नहीं रहे। बीस साल तक असफल वकालत के दिनों के सैंकड़ों किस्से उनकी ईमानदारी और सज्जनता की गवाही देते हैं।

6 नवंबर के दिन को और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2013ः सचिन तेंडुलकर और वैज्ञानिक प्रो सीएनआर राव को भारतरत्न देने की घोषणा की गई।

2000ः ज्योति बसु ने लगातार 23 साल पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री रहने के बाद पद छोड़ा।

1999ः ऑस्ट्रेलिया ने जनमत संग्रह में ब्रितानी राजतंत्र को नहीं ठुकराने का फैसला किया।

1990ः नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।

1973ः नासा के स्पेसक्राफ्ट पायोनियर-10 ने ज्यूपिटर के चित्र लेना शुरू किया।

1949ः यूनान में गृह युद्ध समाप्त हुआ।

1943ः द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को साैंप दिया।

1903: अमेरिका ने पनामा की स्वतंत्रता को मान्यता प्रदान की।

1844: स्पेन ने डाेमिनिकन गणराज्य को स्वतंत्र किया।

1813: मैक्सिको ने स्पेन से स्वतंत्रता हासिल की।

1763: ब्रिटिश फौज ने मीर कासिम को हराकर पटना पर कब्जा किया।

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