आज का इतिहास:आजाद भारत के पहले चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई,
हिमाचल प्रदेश के चिनी में डाला गया था पहला वोट
भारतीय लोकतंत्र में 25 अक्टूबर की तारीख बहुत खास है। 1951 में इसी दिन से चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी, जब हिमाचल प्रदेश के चिनी में पहला वोट डाला गया था। 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक यानी करीब चार महीने चली उस चुनाव प्रक्रिया ने पूरी दुनिया के लोकतांत्रिक देशों की कतार में भारत को ला खड़ा किया था। एक अहम फैक्ट यह है कि पहले लोकसभा चुनाव में प्रति वोटर खर्च आया था 60 पैसे, जो 2019 के चुनावों में बढ़कर करीब 72 रुपए हो गया।
दिल्ली के टाउनहाल पोलिंग बूथ पर वोटिंग करते लोग।
यह तो सबको पता है कि भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली और 26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना। लेकिन, यह कम ही लोगों को पता होगा कि पहले आम चुनाव 1951-52 में कैसे हुए थे और किस तरह वोटिंग हुई थी। पहले चुनावों में लोकसभा की 497 तथा राज्य विधानसभाओं की 3,283 सीटों के लिए भारत के 17 करोड़ 32 लाख 12 हजार 343 रजिस्टर्ड वोटर थे। कुल 68 फेज में वोटिंग हुई थी। आजादी के संघर्ष के कारण आम जनता में तो कांग्रेस का ही नाम बैठा था। इस वजह से कांग्रेस ने 364 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 16 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। उस वक्त एक निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक सीटें थीं, इस वजह से 489 स्थानों के लिए 401 निर्वाचन क्षेत्रों में ही चुनाव हुआ। 1960 से यह व्यवस्था खत्म हो गई। एक सीट वाले 314 निर्वाचन क्षेत्र थे। 86 निर्वाचन क्षेत्रों में दो सीटें और एक क्षेत्र में तीन सीटें थीं।
भारतीयों में वोटिंग को लेकर इतना उत्साह था कि एक युवक अपने अंधे पिता को कंधों पर लादकर पोलिंग बूथ तक लाया था।
पहले चुनावों में 10.59 करोड़ लोगों ने अपने नेता को चुनकर इतिहास रचा था। इनमें 10.59 करोड़ में करीब 85% अशिक्षित थे। अशिक्षित वोटर्स का ध्यान रखते हुए पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव चिह्न की व्यवस्था की गई थी। तब हर पार्टी के लिए अलग बैलेट बॉक्स था, जिन पर चुनाव चिह्न थे। लोहे की 2.12 करोड़ पेटियां बनाई गई थीं और 62 करोड़ मतपत्र छापे गए थे।
सुकुमार सेन मुख्य चुनाव आयुक्त थे। उन्होंने वोटर रजिस्ट्रेशन से लेकर, पार्टियों के चुनाव चिह्नों के निर्धारण और साफ-सुथरा चुनाव कराने के लिए योग्य अधिकारियों के चयन का काम किया। बैलेट बॉक्स और बैलेट्स को पोलिंग बूथ तक पहुंचाना बहुत मुश्किल था। मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को कंबल और बंदूक के लाइसेंस का लालच देकर उनसे चुनाव सामग्री पोलिंग बूथ्स तक पहुंचाने में मदद ली गई। खैर, यह चुनाव प्रक्रिया धीरे-धीरे इवॉल्व हुई और आज हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर दुनिया को सिखा रहे हैं कि चुनाव कैसे कराने चाहिए।
25 अक्टूबर के दिन को इन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…
2013ः नाइजीरिया में सेना ने आतंकवादी संगठन बोको हरम के 74 आतंकवादियों को मार गिराया।
2009: बगदाद में हुए दो आत्मघाती बम धमाकों में करीब 155 लोग मारे गए।
2000: अंतरिक्ष यान डिस्कवरी 13 दिन के मिशन के बाद धरती पर लौटा।
1972: FBI ने पहली बार महिला एजेंटों को काम पर रखा।
1960: न्यूयॉर्क में पहली इलेक्ट्रॉनिक रिस्ट वॉच बाजार में आई।
1955: पहली बार घरेलू इस्तेमाल के लिए माइक्रोवेव ओवन की ब्रिकी टप्पन कंपनी ने शुरू की।
1924: अंग्रेजों ने सुभाषचंद्र बोस को गिरफ्तार कर दो साल के लिए जेल भेजा।
1870: अमेरिका में पहली बार पोस्टकार्ड का इस्तेमाल किया गया।
1828: सेंट कैथरीन डॉक्स लंदन में खोला गया।
1760: जॉर्ज तृतीय ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड के राजा बने।
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