राजनीति में इतने झटके खाने के बाद अजित ने शरद पवार पर किया पलटवार !
महाराष्ट्र में सियासी हलचल की जड़ अजित पवार और शरद पवार के बीच विवाद को बताया जा रहा है। इसी विवाद के चलते अजित पवार ने बीजेपी को समर्थन दे, उपमुख्यमंत्री बन, महाराष्ट्र की राजनीति पलट दी। और दिलचस्प है कि ये विवाद हाल फ़िलहाल नहीं, बल्कि पिछले 15 सालों से चल रहा है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2014 में एनसीपी को 71 और कांग्रेस को 69 सीटें मिली थी। ऐसे में सरकार गठन करते हुए शरद पवार ने भतीजे अजित के लिए मुख्यमंत्री पद लेने के बजाए कांग्रेस को दे दिया। इसके बदले शरद पवार को केंद्र में दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद मिला। लेकिन शरद पवार के इस फैसले से अजित पवार को पहला झटका लगा। इसके बाद दूसरा टकराव हुआ जब 2009 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अजित अपने करीबियों को टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन इस बार भी उनकी नहीं सुनी गई ।
ये था अजित के लिए तीसरा झटका
इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में अजित अपने बेटे पार्थ को चुनाव लड़ाना चाहते थे। लेकिन शरद पवार ने यह मांग पहले ही ठुकरा दी थी। हालाँकि अजित पवार के ज़िद करने पर शरद पवार ने पार्थ को टिकट दे तो दिया, लेकिन प्रचार से दूर रहे। शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया को चुनाव जिताने के लिए जी-जान से लगे रहे। नतीजन पार्थ चुनाव हार गए। ये अजित पवार के लिए बड़ा झटका था।
चौथा झटका
इसके बाद चौथा झटका अजित पवार को महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव 2019 में लगा। इस बार भी अजित पवार अपने खेमे के कुछ लोगों को टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन शरद पवार ने फिर से उनकी मांगों को अनसुना कर दिया। वहीँ शरद पवार ने अपने पोते रोहित पवार को चुनाव का टिकट देने के साथ साथ खूब प्रचार भी किया। ये बात अजित पवार के दिल में घर कर गयी।
पांचवा झटका
इसके बावजूद विधानसभा चुनाव से पहले जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शरद पवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, और शरद ने ईडी ऑफिस जाने का फैसला किया। तो राज्य में चुनाव से ठीक पहले पार्टी में माहौल को शांत रखने के लिए अजित ने खुद कुर्बानी दी। शरद पवार से फोकस हटाने के लिए उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। इससे शरद पवार चर्चा के केंद्र से बाहर निकल गए। लेकिन यहाँ अजित पवार को एक और झटका मिला जब उन्हें ईडी का नोटिस आया। उनके मुश्किल समय में न तो शरद पवार उनके सहयोग में सामने आए, न ही एनसीपी का कोई नेता।
छठा और आखिरी झटका
गौरतलब है कि अजित पवार को छठा और आखिरी झटका सरकार गठन के दौरान लगा। दरअसल राज्य में सरकार गठन की बैठकों के दौर के बीच अजित ने हमेशा उद्धव के मुख्यमंत्री बनने का विरोध किया। लेकिन, शरद पवार ने उनकी एक नहीं सुनी। आखिरी फैसले के अनुसार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई।
जब भतीजा हुआ गुस्सा, तब चाचा का उमड़ा प्यार
इन सबके बाद 15 साल पहले शुरू हुई दिल में खटास इस कदर निकली कि अजित पवार ने महाराष्ट्र में राजनीति को ही हिला दिया। अजित पवार ने रात भर में तिगड़म लगाते हुए शनिवार सुबह एक इतिहास रच दिया। उन्होंने एनसीपी के ज़्यादातर नेताओं के साथ बीजेपी को समर्थन देते हुए उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। और यहीं से अजित पवार के लिए शरद पवार का प्यार उमड़ने लगा। उन्होंने अजित पवार को तुरंत पार्टी से निकलने, या उनपर कोई भी मुकदमा दर्ज करने की जगह उन्हें मनाने का रास्ता अपनाया।