क्या भारत में अब मुफ्त मिलेगा पेट्रोल और डीज़ल ? कच्चे तेल के दाम में आई ऐतिहासिक गिरावट
- कोरोना की मार से सस्ता हुआ कच्चा तेल
- पानी से भी सस्ता हुआ कच्चा तेल
- इतिहास में पहली बार इतना सस्ता हुआ कच्चा तेल
- 0.01 डॉलर तक गिरी कच्चे तेल की कीमत
कोरोना की मार से सिर्फ देश और दुनिया ही बेहाल नही है और ना ही सिर्फ देश और दुनिया की आर्थिक स्थिति खराब है बल्कि कोरोना वायरस की मार कच्चा तेल भी झेल रहा हैं। आज कच्चे तेल की हालत ये है कि कोई देश उसे मुफ्त में भी लेने को तैयार नही हैं। 1986 के बाद पहली बार कच्चे तेल में इतनी गिरावट देखने को मिली हैं। अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिए की कीमत में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली हैं। कोरोना संकट के कारण कच्चे तेल की मांग में कमी आई है और तेल की सभी भंडारण अपने चरम पर पहुंच गए हैं और यही कारण है कि अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिए में कच्चे तेल की कीमत गिर कर शून्य पर आ गई हैं, लेकिन इसका मतलब ये नही है कि भारत में तेल मुफ्त मिलने लग जाएगा।
दरअसल हुआ ये है कि मई महीने में तेल का करार निगेटिव हो गया है। मतलब ये कि तेल के खरीदार तेल लेने से इंकार कर रहे हैं। तेल खरीदारों ने कहा है कि अभी तेल की जरुरत नही हैं बाद में लेंगें। वही दूसरी तरफ तेल का उत्पादन इतना हो गया है कि तेल रखने की जगह नही हैं। कई देशों में लॉकडाउन हैं। जिसकी वजह से आवागमन ठप हैं । फैक्ट्रीस और कंपनियां बंद हैं। जिसकी वजह से तेल की मांग में कमी आई हैं और फिलहाल कनाडा में तो ये हालत हैं कि कई तेल उत्पादों की कीमत माइनस में हो गई हैं।
वही अगर बात भारत की करें तो ”भारत की निर्भरता ब्रेंट क्रूड की सप्लाई पर है, ना कि डब्ल्यूटीआई पर इसलिए भारत पर अमेरिकी क्रूड के नेगेटिव होने का खास असर नहीं पड़ेगा। ब्रेंट का दाम अब भी 20 डॉलर के ऊपर बना हुआ है और ये गिरावट सिर्फ WTI के मई वायदा में दिखाई दी, जून वायदा अब भी 20 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर है..अमेरिकी कच्चा तेल की जून डिलीवरी में 14.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, फिलहाल इसकी कीमत 21.32 डॉलर प्रति बैरल है।”
अब सवाल ये उठता है कि कच्चे तेल में गिरावट भारत के लिए कितना फायदेमंद है। दरअसल भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयतक हैं। खपत का 85 फीसदी हिस्सा भारत आयात के जरिए पूरा करता है। ऐसे में कच्चा तेल सस्ता होता हैं तो इसका फायदा भारत को होता है। भारत के आयात में कमी नही आती लेकिन हां भारत का बैलेंस ऑफ ट्रेड जरुर कम होता हैं। जिससे डॉलर के मुकाबले रुपया मज़बूत होता है और महंगाई पर लगाम लगाने में मदद मिलती हैं।
दरअसल कच्चे तेल की कीमत में अगर एक डॉलर की भी कमी आती हैं तो सीधे सीधे पेट्रोल के दाम में 50 पैसे की कमी आती हैं और अर क्रूड का दाम 1 डॉलर बढ़ते हैं तो पेट्रोल के दाम में 50 पैसे की तेज़ी आती हैं। ऐसे मे अगर कच्चे तेल की कीमत एक डॉलर कम होती हैं, तो ”’भारत को करीब 29000 करोड़ डॉलर का फायदा होता हैं यानी कच्चे तेल में 10 डॉलर की कमी आती हैं तो भारत को 2,90,000 हजार डॉलर की बचत होती हैं।”
अब अगर भारत सरकार को इतनी बचत होगी तो ज़ाहिर हैं पेट्रोल और डीज़ल के दाम पर सीधे सीधे फर्क पड़ेगा और बचत भी होगी और फिलहाल जो आर्थिक स्थिति है उसके चलते भारत को बचत की काफी जरुरत हैं।