उत्तरी निगम अस्पतालों के नर्सिंग स्टाफ की सैलरी का मुद्दा पहुंचा हाईकोर्ट
नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों और डिस्पेंसरीज में काम करने वाले नर्सिंग स्टाफ की सैलरी देने की मांग करने वाली एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई है। हाईकोर्ट इस याचिका पर 4 नवंबर को सुनवाई करेगा। बुधवार को ये याचिका चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष लिस्टेड थी लेकिन बेंच के नहीं बैठने की वजह से सुनवाई टल गई।
दिल्ली नर्सेज यूनियन ने दायर याचिका में कहा है कि राजन बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन एंड ट्यूबरकुलोसिस के नर्सिंग स्टाफ को पिछले जून महीने से सैलरी नहीं दी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील तरुण शर्मा ने कहा कि नर्सिंग स्टाफ को केंद्रीय वेतनमान के मुताबिक बोनस, महंगाई भत्ता, एलटीसी का भुगतान पिछले जनवरी 2016 से नहीं किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधीन चलनेवाले विभिन्न अस्पतालों, डिस्पेंसरी, पॉलीक्लिनिक में अपनी सेवाएं देनेवाले नर्सिंग स्टाफ इन दिनों कोरोना के नियंत्रण के काम में लगे हुए हैं। पिछले मार्च महीने से सभी नर्सिंग स्टाफ को कोरोना के नियंत्रण में कोरोना वारियर्स के तौर पर लगाया गया है। लेकिन उन्हें पिछले जून महीने से सैलरी नहीं दी गई है। इसके लिए याचिकाकर्ता ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को पिछले 7 अक्टूबर को अपना प्रतिवेदन भी दिया था लेकिन उन्हें अब तक सैलरी का कोई भुगतान नहीं किया गया।
याचिका में कहा गया है कि नर्सिंग स्टाफ हर महीने सैलरी और भत्तों के भुगतान के लिए कानूनी रुप से हकदार है। संविधान की धारा 21 उत्तरी दिल्ली नगर निगम को इस बात के लिए बाध्य करती है कि विभिन्न अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में काम करनेवाले नर्सिंग स्टाफ को समय पर वेतन दिया जाए। ऐसा नहीं करना नर्सिंग स्टाफ की स्वतंत्रता और गरिमा से जीने के अधिकार का उल्लंघन है।