राज कुंद्रा को हाईकोर्ट ने दी अंतरिम राहत, जमानत याचिका पर इतने अगस्त को सुनवाई
मुंबई. अश्लील फिल्मों के निर्माण में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार चल रहे उद्योगपति राज कुंद्रा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत दी है. कुंद्रा की अग्रिम जमानत याचिका पर 25 अगस्त यानि बुधवार को सुनवाई होगी. उद्योगपति को बीती 19 जुलाई को कथित रूप से पोर्न फिल्म बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उस दौरान 11 अन्य लोगों पर भी पुलिस ने शिकंजा कसा था. सत्र न्यायालय की तरफ से गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका रद्द होने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था.
मुंबई साइबर पुलिस की तरफ से साल 2020 में दर्ज किए गए मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज कुंद्रा को अंतरिम राहत दी है. शिकायत में उनके खिलाफ वेब सीरीज के हिस्से के रूप में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील वीडियो डालने के आरोप थे. मुंबई क्राइम ब्रांच की तरफ से पोर्नोग्राफी मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया था. मुंबई पुलिस ने कुंद्रा को मुख्य साजिशकर्ता माना है. जबकि, इस मामले में उनकी पत्नी, मॉडल गहना वशिष्ठ और शर्लिन चोपड़ा समेत कई लोगों से पूछताछ हो चुकी है. जांच के दौरान मुंबई क्राइम ब्रांच ने राज और शिल्पा के दफ्तरों के साथ-साथ एक से ज्यादा बार छापा मारा था. छापामार कार्रवाई में पुलिस ने सर्वर, वीडियो क्लिप्स और सबूत के तौर पर वॉट्सऐप चैट्स भी बरामद की थी. कुंद्रा के अलावा अश्लील फिल्मों के निर्माण और वितरण के मामले में कंपनी का एग्जीक्यूटिव उमेश कामत और रिश्तेदार प्रदीप बख्शी भी जांच के दायरे में हैं. ब्रिटेन में कंपनी चलाने वाले बख्शी कंटेट के वितरण की जिम्मेदारी संभालता था.कुंद्रा के 2020 FIR मामले में अग्रिम जमानत पर जस्टिस संदीप के शिंदे सुनवाई कर रहे थे. उद्योगपति की तरफ से अदालत में पेश हुए एड्वोकेट प्रशांत पाटिल ने तर्क दिया कि शर्लिन चोपड़ा और पूनम पांडे समेत मामले में सह आरोपियों को हाईकोर्ट की तरफ से अंतरिम राहत दे दी गई थी और कुंद्रा की हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं थी. वकील ने कहा कि कुंद्रा के ऊपर लगाए गए अपराध 7 साल से कम कारावास के साथ दंडनीय थे. ऐसे में वे गिरफ्तारी से सुरक्षा के हकदार हैं. अतिरिक्त लोक अभियोजन प्राजक्ता शिंदे ने इस याचिका का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि मामले में कुंद्रा की भूमिका अन्य आरोपियों से अलग थी. इसके चलते वे समानता के आधार पर सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते. मजिस्ट्रेट कोर्ट की तरफ से जारी रिमांड के आदेश को कुंद्रा और थोर्पे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और रिहाई की मांग की थी. इसके बाद 7 अगस्त को उच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया था.