आंध्रप्रदेश में बाढ़ से भारी तबाही, 31 की मौत; कई गांव उजड़े
पिछले एक सप्ताह में आंध्र प्रदेश में बाढ़ के कारण भारी तबाही हुई है। इस जलजले में कई ट्रेनें और वाहन फंसे हुए हैं। बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं और मारे गए हैं। जबकि करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। राज्य में हाल ही में आई बाढ़ से मरने वालों की संख्या रविवार को 31 पहुंच गई। पेन्नार और चेयेरू नदियां जो बाढ़ में डूबी थीं, कई गाँवों को बहा ले गईं और सड़कों पर पानी भर गया।
आंध्रप्रदेश में बाढ़ ने 31 लोगों की जिंदगी लील ली। रविवार को पीटीआई ने कहा कि पेन्ना नदी में बाढ़ के कारण एसपीएस नेल्लोर जिले के पादुगुपाडु में सड़कों पर पानी भर जाने के बाद चेन्नई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग-16 को बंद कर दिया गया था। जबकि पडुगुपाडु में रेलवे ट्रैक पर बाढ़ के कारण चेन्नई-विजयवाड़ा ग्रैंड ट्रंक मार्ग पर 17 से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गईं। कुछ ट्रेनों को डायवर्ट भी किया गया।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि आंध्र प्रदेश आपदा प्रबंधन निकाय ने कहा कि एसपीएस नेल्लोर जिले के सोमसिला जलाशय से दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया, जिसके कारण कई इलाकों में बाढ़ आ गई। इस कारण नेल्लोर और विजयवाड़ा के बीच एनएच-16 के दोनों ओर वाहन घंटों फंसे रहे।
अन्नामय्या परियोजना से ग्रामीणों में आक्रोश
दो लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण चेयेरू नदी पर अन्नामय्या परियोजना के ओवरफ्लो होने से तोगुरुपेटा, मंडापल्ली, पुलापथुर और गुंडलूर गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। बाढ़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लापता हो गए क्योंकि मध्यम सिंचाई परियोजना पानी छोड़े जाने के कारण टूट गई।
मडपल्ली और तोगुरुपेटा के नाराज ग्रामीणों ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से कहा कि यह प्रशासन की ओर से घोर कुप्रबंधन के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। क्या इतनी भारी बारिश होने पर उन्हें बाढ़ के बारे में पता नहीं था? हमें आने वाले खतरे के बारे में सचेत क्यों नहीं किया गया, क्या लोगों के मरने का इंतजार किया गया?
चेयेरू में बाढ़ के कारण पुलापथुर गांव में 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि मंडपल्ली में नौ और गुंडलूर में पांच लोगों की मौत हो गई। समाचार एजेंसी एपी ने बताया कि मंडपल्ली और चेयेरू नदी में बाढ़ के कारण दो परिवारों का सफाया हो गया।
कडप्पा के डीएम विजया रामा राजू ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से कहा कि नदी का मार्ग बदल गया लेकिन बांध का टूटना ही वास्तविक विनाश का कारण बना। हम अभी तक लगभग 600 लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले गए हैं।”