राजस्थान मदरसा कानून पर HC ने केंद्र और राज्य सरकार को भेजा नोटिस, 4 हफ्तों में मांगा जवाब
जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) ने राज्य मदरसा बोर्ड अधिनियम, 2020 को रद्द करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही उच्च न्यायालय ने चार सप्ताह में उनसे जवाब मांगा है. केंद्र एवं राज्य शिक्षा बोर्डों के अलावा राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग (Rajasthan Minorities Commission) को भी नोटिस जारी किया गया है. इस कानून को देश की संघीय भावना के विपरीत करार देते हुए याचिकाकर्ता मुकेश जैन ने उसे खत्म करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया.
अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि यह कानून भारतीय संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है, क्योंकि संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बताता है. याचिका में कहा गया है कि यह कानून किसी खास धर्म को बढ़ावा देता है और किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश में कोई भी सरकार किसी एक धर्म को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं कर सकती है. याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा कानून बनाने का राज्य का कोई विशेषाधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस कानून को रद्द किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें किसी अन्य अल्पसंख्यक समुदाय का ख्याल नहीं रखा गया है.
इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों, राज्य मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, सीबीएसई, आरबीएसई को नोटिस जारी किया और उनसे चार सप्ताह में जवाब मांगा.
मदरसा बोर्ड के वजूद पर एक पक्की मुहर लगी
बता दें कि पिछले साल 17 साल के लंबे इंतजार के बाद राजस्थान में मदरसा बोर्ड के प्रस्ताव को कानूनी मंजूरी मिली थी. मदरसा बोर्ड एक्ट राजस्थान विधानसभा में पास किया गया था. इससे पहले पिछले 17 साल से मदरसा बोर्ड महज एक प्रशासनिक आदेश से चल रहा था. राजस्थान के करीब 21 मदरसों में 2 लाख स्टूडेंट्स हैं, जबकि यहां साढ़े छह हजार मदरसा पैरा टीचर्स अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
राजस्थान के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सालेह मोहम्मद ने कहा कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता तालीम पर ज्यादा जोर देने की है. मदरसों में हाईटेक एजुकेशन दी जाए, ताकि बुनियादी तालीम का ढांचा सुधर सके. मदरसों की बिल्डिंग में सुधार हो. खेलने के लिए मैदान और पढ़ने के लिए लाइब्रेरी हो. 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं के लिए मदरसों का अलग बोर्ड बनाया जाए, ताकि वहां बेहतर तालीम दी जाए. विधानसभा में सोमवार को जब ये एक्ट पास किया गया तो पिछले 17 साल में पहली बार मदरसा बोर्ड के वजूद पर एक पक्की मुहर लगी है.