कोरोना के हर 7 दिन का औसत 12 हफ्तों से कम हो रहा था, अब बढ़ने लगा; क्या यह तीसरी लहर की शुरुआत है?
कोविड-19 के नए केस का साप्ताहिक आंकड़ा 12 हफ्ते बाद बढ़ा है। मई के पहले हफ्ते में दूसरी लहर के पीक के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब कोरोना के नए केसेस का सात दिन का डेली एवरेज बढ़ने लगा है। 3 लाख 92 हजार से घटते-घटते ये 37 हजार तक गया था। अब ये बढ़कर 40,500 हो गया है। इससे पहले के हफ्ते तक डेली एवरेज केस 38 हजार के आसपास थे। लगातार छठे दिन 40 हजार से अधिक केस दर्ज हुए। रविवार को 40,627 केस सामने आए।
भारत में रविवार को खत्म हुए हफ्ते (26 जुलाई से 1 अगस्त) में 2.86 लाख नए केस आए। यह पिछले हफ्ते के 2.66 लाख केस से 7.5% अधिक है। 26 जुलाई तक एक सप्ताह का डेली एवरेज घट रहा था। केस कम होने का रेट घटकर 1.4% रह गया था।
वास्तविकता यह है कि 6 मई को 4.14 लाख केस के साथ दूसरी लहर का पीक आया था और उसके बाद से लगातार केस घट रहे थे। पर 25 जून के बाद से नए केस का आंकड़ा 30 हजार और 50 हजार के बीच अटका हुआ है। बढ़ती R वैल्यू यानी एक व्यक्ति से इन्फेक्ट होने वाले व्यक्तियों की संख्या ने भी पिछले महीने संकेत दिए थे कि तीसरी लहर कभी भी आ सकती है। तमाम मैथमेटिकल मॉडल भी इसी तरफ संकेत दे रहे हैं कि अगस्त में कोरोना की तीसरी लहर आ जाएगी।
मई में आए थे सबसे ज्यादा केस
पूरे देश में मई में सबसे ज्यादा केस दर्ज हुए। 3 मई को खत्म हुए हफ्ते में 27.38 लाख नए केस आए थे। इसके बाद ही भारत में 6 मई को 4.14 लाख नए केस के साथ दूसरी लहर का पीक आया था। इसके बाद लगातार हफ्ता-दर-हफ्ता केस कम होते चले गए।
5 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते में केस घटकर 2.91 लाख रह गए थे। पर उसके बाद नए केस कम होने की रफ्तार थोड़ी थम गई।
महाराष्ट्र में राहत, पर नए केसेस में केरल की हिस्सेदारी बढ़ी
केरल और महाराष्ट्र में नए केस तेजी से बढ़े हैं। जुलाई में नए केस में केरल की हिस्सेदारी बढ़कर 38% हो गई है। केरल में इस समय सबसे अधिक केस सामने आ रहे हैं। पिछले हफ्ते यहां 1.1 लाख केस सामने आए, जबकि इस हफ्ते बढ़कर 1.4 लाख हो गए। यह 26.5% की बढ़ोतरी दिखाता है। देश में सामने आए कुल केस में केरल की हिस्सेदारी 49% रही। केरल में औसतन 20 हजार केस रोज सामने आ रहे हैं। रविवार को केरल में 20 हजार 728 नए केस सामने आए।
कर्नाटक में भी 17.3% बढ़ोतरी दर्ज हुई है। नंबरों में देखें तो कर्नाटक ने इस हफ्ते में 12 हजार 442 केस दर्ज किए, जो पिछले हफ्ते में 10 हजार 610 थे। तमिलनाडु में पिछले हफ्ते 13 हजार 95 केस थे और इस हफ्ते 13 हजार 90 केस सामने आए। डेली केस बढ़ रहे हैं। बुधवार को 1 हजार 756 केस थे, जो रविवार को बढ़कर 1 हजार 990 हो गए। महाराष्ट्र में वीकली नंबर 6.2% गिरे हैं। पिछले हफ्ते 48,253 केस थे और इस हफ्ते 45,272 नए केस सामने आए। एक्टिव केस 14 हजार बढ़ गए। एक हफ्ते पहले एक्टिव केस 4 लाख से कम थे। पर रविवार को एक्टिव केस 4.15 लाख तक पहुंच गए।
अच्छी बात यह है कि देशभर में केरल ही एक ऐसा राज्य है, जहां नए केस ज्यादा सामने आ रहे हैं। IIT-कानपुर के प्रोफेसर मनींद्र अग्रवाल का कहना है कि केरल में इसी रफ्तार से केस आगे भी बढ़ सकते हैं। 15 अगस्त के आसपास केरल में 25 हजार के साथ नया पीक बन सकता है। सरकार ने लॉकडाउन में नरमी नहीं दिखाई तो उसके बाद नए केस कम होने लगेंगे। अग्रवाल ने ही देश में दूसरी लहर को लेकर प्रेडिक्शन मॉडल बनाया था, जो काफी हद तक सफल भी रहा था।
नॉर्थ-ईस्ट में अब भी पॉजिटिविटी रेट ज्यादा
नए आंकड़ों के मुताबिक नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में अब भी नए केस सामने आने की रफ्तार कम नहीं हुई है। पहली और दूसरी लहर में अपेक्षाकृत कम नंबरों वाले इन राज्यों में अचानक पॉजिटिविटी रेट बढ़ा है। मिजोरम में 22.52%, मणिपुर में 16.56%, मेघालय में 11.65%, सिक्किम में 13.34%, नगालैंड में 6.64% और अरुणाचल में 6.40% का पॉजिटिविटी रेट आ रहा है। यानी 100 टेस्ट में से तकरीबन 6 या उससे अधिक लोग इन्फेक्ट हो रहे हैं। बड़े राज्यों में केरल ही एक ऐसा राज्य है, जहां हालात नॉर्मल नहीं हो रहे।
क्या यह तीसरी लहर है?
हो भी सकती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में सीनियर साइंटिस्ट प्रोफेसर समीरन पंडा ने पिछले महीने कहा था कि तीसरी लहर अगस्त में शुरू हो सकती है। न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पंडा ने कहा कि अगर मौजूदा परिस्थितियों में वायरस में म्यूटेशन नहीं हुआ और ट्रांसमिशन रेट नहीं बढ़ा तो पहली लहर की तरह ही हमें इन्फेक्शन के आंकड़े देखने को मिल सकते हैं। पर अगर वायरस म्यूटेट होता है तो स्थिति बिगड़ सकती है।
अक्टूबर में आ सकता है तीसरी लहर का पीक
IIT-हैदराबाद के मथुकुमाली विद्यासागर और IIT-कानपुर के मनींद्र अग्रवाल ने अपनी रिसर्च में कहा है कि अगस्त में कोविड की तीसरी लहर आ सकती है। अक्टूबर में इसका पीक आ सकता है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक दोनों ही रिसर्चर्स का मानना है कि तीसरी लहर तुलनात्मक रूप से दूसरी लहर की तरह खतरनाक नहीं होगी।
इससे पहले विद्यासागर और अग्रवाल ने दूसरी लहर के दौरान भारत में केसलोड होने को लेकर मॉडल रखा था, जो काफी हद तक सही भी साबित हुआ। रिसर्चर्स के मुताबिक बेस्ट-केस में तीसरी लहर का पीक रोज 1 लाख नए इन्फेक्शन तक जाएगा यानी पहली लहर की तरह। वहीं, अगर स्थिति बिगड़ी तो 1.50 लाख नए केस सामने आ सकते हैं।