हरियाणा चुनाव: कुरुक्षेत्र में जनता की राय, बीजेपी और कांग्रेस में 50-50 मुकाबला, राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ी”

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में चुनावी माहौल गरमा चुका है। मंदिर के बाहर बैठे लोगों से बात करने पर एक अनोखा नजारा देखने को मिला।

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में चुनावी माहौल गरमा चुका है। मंदिर के बाहर बैठे लोगों से बात करने पर एक अनोखा नजारा देखने को मिला। स्थानीय लोग खुले तौर पर अपनी राय रखते हुए दिखे, जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है। हालांकि, इस बार लोगों का उत्साह कांग्रेस और राहुल गांधी की ओर अधिक झुका हुआ दिखाई दे रहा है।

“बीजेपी का जादू फीका, पर स्थानीय नेताओं का असर बरकरार”

कुरुक्षेत्र के लोग मंदिर के बाहर इकट्ठा होकर राजनीतिक चर्चाओं में व्यस्त थे। जब हमने उनसे चुनावी रुझानों के बारे में पूछा तो ज्यादातर ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला 50-50 का है। कुछ लोग खुलकर बीजेपी के समर्थन में नहीं दिखे, और कुछ कांग्रेस के लिए पूरे जोश के साथ बोलते नजर आए।

बीजेपी के पक्ष में बात करने वालों ने भी माना कि इस बार मोदी का जादू लोगों पर वैसा असर नहीं डाल पा रहा जैसा पहले था। बीजेपी के स्थानीय नेताओं का जनता से अच्छा जुड़ाव है, लेकिन मोदी का ब्रांड अब पहले जैसा नहीं रहा। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मोदी की बातों से उतने प्रभावित नहीं हैं जितना पहले हुआ करते थे।

“कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता और राहुल गांधी का बढ़ता आकर्षण”

कांग्रेस के प्रति लोगों का झुकाव इस बार ज्यादा नजर आ रहा है। बातचीत के दौरान, कई लोगों ने साफ कहा कि कांग्रेस ही इस बार जीतने वाली है। एक साधु बाबा ने तो दावे के साथ कहा, “इस बार सिर्फ कांग्रेस ही आएगी, और कोई नहीं।” राहुल गांधी के प्रति लोगों में खासकर युवाओं में एक नई तरह की उत्सुकता और समर्थन देखने को मिल रहा है।

महिलाएं और बुजुर्ग भी कांग्रेस को लेकर सकारात्मक बातें कर रहे थे। उन्होंने राहुल गांधी के बारे में कहा, “वो देश के हर हिस्से में जाकर लोगों से मिलते हैं, उनकी बातें सुनते हैं। ये बहुत मायने रखता है।” साफ था कि लोग राहुल की जमीन से जुड़ी राजनीति को सराह रहे हैं।

“कौन देगा घर, उसे मिलेगा वोट”

महिलाओं के एक समूह ने अपनी राय बड़ी बेबाकी से रखी। उनका कहना था, “जिसने घर दिया, वोट उसी को देंगे।” लोगों को मूलभूत सुविधाओं की बहुत कमी महसूस हो रही है। चाहे वह घर की बात हो, रोजगार की बात हो या फिर खाद्य सुरक्षा की, लोगों की जरूरतें चुनावी वादों से कहीं ज्यादा बड़ी और असली हैं। उन्होंने साफ कहा कि अब वादों का समय खत्म हो चुका है, अब तो काम दिखना चाहिए।

महिलाओं की इस बात से साफ जाहिर था कि चुनावी वादों का दौर खत्म हो चुका है, अब लोग ठोस काम देखना चाहते हैं। सरकारें चाहे कितने भी बड़े-बड़े वादे कर लें, जब तक लोगों को घर, खाना और रोजगार नहीं मिलेगा, तब तक वोट मिलना मुश्किल है।

“हम सब खुद ही करते हैं, सरकार का कोई योगदान नहीं”

कुछ लोग मंदिर के बाहर बैठे थे और वे खुद ही खाने-पीने का इंतजाम कर रहे थे। उनसे बात करने पर पता चला कि वे अपनी रोजी-रोटी के लिए खुद ही संघर्ष कर रहे हैं। एक बुजुर्ग ने कहा, “हम अपने कपड़े, खाना और घर का सारा खर्च खुद ही उठाते हैं, सरकार की तरफ से कुछ नहीं आता।” इस बयान से साफ पता चलता है कि जनता को सरकार से कोई ठोस उम्मीद नहीं बची है।

ये लोग अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी सरकार पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि खुद ही अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा, और यही कारण है कि जनता की राय बीजेपी और कांग्रेस के बीच बंटी हुई दिख रही है।

“कुरुक्षेत्र की जनता का मूड: एक नई उम्मीद की तलाश”

कुरुक्षेत्र में लोगों का मूड इस बार कुछ बदला-बदला सा है। बीजेपी का पुराना जादू फीका पड़ता दिख रहा है और कांग्रेस की ओर एक नई उम्मीद जाग रही है। लोग अब वादों से थक चुके हैं और जमीन पर काम देखना चाहते हैं। राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से कांग्रेस को फायदा होता दिख रहा है, जबकि बीजेपी को अपने स्थानीय नेताओं के बल पर ही उम्मीदें हैं।

हरियाणा चुनाव में कुरुक्षेत्र की जनता इस बार स्पष्ट रूप से सोच-समझ कर वोट देने की तैयारी में है। मंदिर के बाहर बैठे ये लोग किसी बड़े नेता के भरोसे नहीं, बल्कि अपने अनुभवों और समस्याओं के आधार पर ही निर्णय करेंगे। यह चुनाव जनता के असल मुद्दों और उनकी सच्ची परेशानियों का आईना बनने वाला है।

 

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