हुड्डा की मीटिंग से 4 विधायक गायब:पंजाब में सियासी उठापठक के बाद पूर्व CM ने अपनी कोठी पर ली विधायकों की बैठक
बिश्नोई-किरण के अलावा शैली और रेणू नहीं पहुंचे
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पंजाब में सियासी उठापठक के बाद हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा ने चंडीगढ़ में अपनी सरकारी कोठी पर बुधवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक ली। जिसमें किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई समेत 4 विधायक नहीं पहुंचे। हुड्डा ने मीटिंग में पहुंचे 31 में से 27 MLA के साथ कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में फैसला लिया गया कि हरियाणा में कांग्रेस कई अहम मुद्दों पर मनोहर सरकार को घेरेगी और जल्द ही हर जिले में विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। इनमें बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार, बढ़ता अपराधिक ग्राफ, बेरोजगारी जैसे मुद्दे शामिल रहेंगे। प्रदर्शनों की अगुवाई पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद करेंगे। बैठक में कांग्रेस विधायक किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई, शैली चौधरी और रेनू बाला नहीं पहुंचे।
पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा ने बदले राजनीतिक हालात के बीच मीटिंग के बहाने पार्टी के विधायकों की नब्ज टटोलने का काम किया। पंजाब में जिस तरह से चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी हुई और जिन हालात में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दिया उसे देखते हुए यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। पंजाब की राजनीति में कांग्रेस हाईकमान के जातिगत कार्ड खेलने के बाद हरियाणा कांग्रेस में भी अंदरखाने चर्चाएं तेज हैं।
मौके की नजाकत समझ रहे हुड्डा
भपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। हरियाणा में वर्तमान में कांग्रेस के 31 MLA हैं, इनमें से 29 MLA को हुड्डा समर्थक कहा जा रहा है। मौके की नजाकत को हुड्डा भली भांति समझ रहे हैं। पंजाब में जिस तरह अपनी मनमानी कर रहे कैप्टन को किनारे किया गया, उससे हुड्डा की चिंता बढ़ना स्वभाविक है। हुड्डा भी हरियाणा में कैप्टन की तरह ही हाईकमान को दरकिनार करते रहे हैं। ऐसे में पंजाब के घटनाक्रम के बीच हुड्डा की विधायक दल की कॉल पर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लग रहे हैं।
तीन दिन चंडीगढ़ में ही डेरा जमाएंगे हुड्डा
पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा बुधवार दोपहर तक चंडीगढ़ पहुंचें और अगले 3 दिन यहीं प्रवास होगा। 23 सितंबर को हुड्डा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। बैठक के जरिए कई संदेश देने की कोशिश में हैं। इस मीटिंग में पहुंचने वाले विधायकों की संख्या पर भी सबकी नजर थी। ऐसे में पंजाब के उटलफेर के बाद हुड्डा की बैठक के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
तय नहीं था मीटिंग का एजेंडा
विधायकों को भेजे गए संदेश में मीटिंग को लेकर कोई एजेंडा क्लीयर नहीं था। अनौपचारिक रूप से बैठक में तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के आंदोलन समेत अन्य जनहित के मसलों पर मंथन की बात कही गई थी। हालांकि बैठक का मुख्य एजेंडा पंजाब का घटनाक्रम ही रहा। वहीं प्रदेश में भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन रणनीति के अलावा अन्य सियासी मसलों पर भी विमर्श हुआ।
गुटबाजी का खामियाजा भुगत रही कांग्रेस
हरियाणा में पिछले 7 साल से कांग्रेस का संगठन खड़ा नहीं हो पाया। इसके पीछे प्रदेश कांग्रेस में आपसी गुटबाजी हावी होना रहा है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर का पत्ता कटने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट ने कमान संभालने की तैयारी कर ली थी। लेकिन हाईकमान ने उस समय भी कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बना दिया।
हुड्डा खेमा चाहता है अपना प्रदेशाध्यक्ष
सैलजा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद हुड्डा खेमे के साथ तनाव लगातार बढ़ रहा है। हुड्डा खुद की पसंद के किसी नेता को हरियाणा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनवा चाहते हैं। इसके लिए हुड्डा खेमे ने कई बार प्रयास भी किए। जुलाई में ही हरियाणा कांग्रेस के 19 विधायकों ने दिल्ली में हाईकमान से प्रदेशाध्यक्ष बदलने की मांग की थी। हालांकि बात नहीं बनी।
हरियाणा कांग्रेस में सक्रिय हैं कई गुट
प्रदेश कांग्रेस में इस समय मुख्य तीन लोग हैं जिनकी अपनी पहुंच है। इनमें पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का गुट सबसे बड़ा है। आंदोलनों के कारण हुड्डा की किसानों और जाटों में अच्छी पकड़ है। यही कारण है कि वह कई मामलों में हाईकमान को भी दरकिनार कर जाते हैं। प्रदेश के 31 में से 29 MLA उनके समर्थक कहे जाते हैं। उधर, रणदीप सिंह सुरजेवाला वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है और जाट नेता हैं। आने वाले समय में चुनाव के समय उन्हें जातिगत समीकरणों को साधने के लिए पार्टी प्राथमिकता दे सकती है।
वहीं, कांग्रेस आलाकमान के साथ बेहतर तालमेल रखने वाली प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा पार्टी का दलित चेहरा हैं। पंजाब में उठापठक के बाद यह स्थिति और स्पष्ट हो रही है। ऐसे में उनकी स्थिति और मजबूत हो रही है। हालांकि किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई भी अपना अलग राग अलापते रहे हैं। फिलहाल उनकी स्थिति लगातार कमजोर हो रही है। उनके गुट से छिटक कर विधायक और नेता या तो हुड्डा या फिर सैलजा के साथ जा चुके हैं।
ऐसे में पंजाब में जातिगत कार्ड के बाद हरियाणा में अंदरखाते स्थिति बदलने के संकेत मिल रहे हैं। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने और चरणजीत सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाने के बाद हुड्डा प्रदेश में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहते हैं। साथ ही विधायकों के साथ बैठक कर उनसे सुर में सुर मिलाकर हाईकमान को भी साधने का उनका प्रयास है।