हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे सपा में होंगे शामिल, बसपा के साथ बीजेपी का नुकसान

हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय और कुशल कल सपा मे होंगे शामिल

लखनऊ: विधानसभा चुनाव को देखते हुए यूपी की राजनीति में सियासी हलचल तेज हो गई। सभी पार्टियों के नेता लगातार अपनी पार्टी को जिताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।  पार्टियों का छोटे-छोटे दलों से गठबंधन और नेताओं का पार्टी बदलना इस चुनाव में खतरनाक साबित हो सकता हैं ।  ऐसे में अगर पूर्वाचल की राजनीति की बात करें तो बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी की पहचान ब्राह्मणों के बाहुबली नेता के तौर पर होती है।  जानकारी के मुताबिक हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे विनय शंकर और कुशल तिवारी रविवार यानी 12 दिसंबर को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शामिल होंगे।

हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे थामेंगे सपा का हाथ

बता दें पिछले दिनों लखनऊ स्थित जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट में हरिशंकर तिवारी के विधायक बेटे ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से मुलाकात की थी।  पूर्वांचल की सियासत में हरिशंकर तिवारी के परिवार का सपा में जाना न केवल बसपा के लिए बल्कि भाजपा को भी महंगा पड़ सकता है।  पूर्वांचल के इस मजबूत ब्राह्मण सियासी परिवार के समाजवादी पार्टी के साथ होने से कई सारे सियासी समीकरण बदल जाएंगे।

दरअसल, मौजूदा समय में हरिशंकर तिवारी भले ही राजनीति में सक्रीय न हों, लेकिन उनके हाते से निकला फरमान आज भी सियासी समीकरण को बदल देता है।  आज भी पूर्वांचल के बाहुबली और माफियाओं में उनका नाम इज्जत से लिया जाता है।

हालांकि अब हरिशंकर तिवारी की उम्र होने की वजह से वह राजनीति में एक्टिव कम हैं, लेकिन उनके परिवार की अगली पीढ़ी राजनीति में जम चुकी है।  बड़े बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी संतकबीरनगर से सांसद रह चुके हैं।  दूसरे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार सीट से विधायक हैं।  वहीं उनके भांजे गणेश शंकर पांडेय यूपी विधान परिषद के पूर्व सभापति रह चुके हैं।

जानिए हरिशंकर तिवारी का इतिहास

यूपी में ठाकुरों और ब्राह्मणों के बीच वर्चस्व की जंग गोरखपुर की जमीन से ही शुरू हुई थी।  वीरेंद्र शाही और हरिशंकर तिवारी के बीच की लड़ाई ने खूब सुर्खियां बटोरी थी।  इस लड़ाई ने  पूर्वांचल की सियासत में बाहुबलियों के लिए दरवाजे खोल दिए।  हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा सीट से 6 बार विधायक भी रहे।  हालांकि 2007 में उन्हें इस सीट से हार का मुंह देखना पड़ा था।

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