अयोध्या में राम का नाम लेने पर हाजी को मस्जिद में करनी पड़ी तौबा!
राम मंदिर भूमि विवाद के बाद अब अयोध्या एक बार फिर चर्चा में है। अयोध्या में राम नाम का जाप एक हाजी को महंगा पड़ गया। अयोध्या छोड़कर दिल्ली जा दीन की तालीम लेकर अयोध्या लौटे हाजी को मस्जिद में जाकर राम नाम जपने के लिए माफ़ी मांगनी पड़ी। इसके साथ ही उन्हें इस ‘गुनाह’ से तौबा कराई गयी। गौरतलब है कि सईद ने अयोध्या छोड़कर दिल्ली जाकर दीन की तालीम ली थी।
दरअसल राम मंदिर विवाद पर कोर्ट के फैसले से पहले संतों की ओर से राम नाम जाप का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। संत परमरहंस ने तपस्वी छावनी में राम मंदिर के निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए यह आयोजन किया था। इसमें पूर्णाहुति के दिन मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी सहभागिता की थी। इसमें महिलाएं भी थीं। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी राम नाम का उच्चारण किया था। हाजी सईद भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
सईद ने की तौबा
इसके बाद इमाम ने हाजी को दोबारा जय श्री राम न कहने का हर्फ दिलाया और इस गुनाह से तौबा कराई। इस संबंध में हाजी सईद ने कहा कि अब जय श्री राम नहीं बोलूंगा, हवन में नहीं जाऊंगा। लोगों ने कहा कि तुम मुसलमान से खारिज हो। उन्होंने कहा कि मैंने राम को अपना खुदा नहीं समझा, अदब के लिहाज से कहा था। कोई पूजा नहीं की। हाजी सईद ने कहा कि ऐसा नहीं था कि वहां कोई मेरा धर्म परिवर्तन करा रहा था। मेरे साथ न तो कोई जबर्दस्ती की गई और न ही किसी ने गलत व्यवहार किया था।
गौरतलब है कि इस घटना को लेकर कार्यक्रम के आयोजक संत परमहंस ने कहा कि तब हिंदू धर्माचार्यों के साथ कुछ राष्ट्रवादी मुस्लिम भी थे और मुस्लिम महिलाएं भी। उन्होंने कहा कि किसी मुस्लिम को किसी मौलाना ने गुनाह कुबूल कराया, यह दुखद है। यह देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि एक बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में मुसलमान रामलीला देख सकते हैं, रामलीला का मंचन कर सकते हैं और राम को अपना पूर्वज मानते हैं।
परमहंस ने कहा कि राम जिस हिंदुस्तान की अस्मिता से जुड़े हैं, वहां श्रीराम का नाम लेने पर यदि किसी को जबरदस्ती प्रताड़ित किया जाए तो निश्चित रूप से शासन- प्रशासन को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। वहीँ सामाजिक कार्यकर्ता बबलू खान ने कहा कि कुछ कट्टरपंथी, जो चाहते हैं कि अयोध्या में आपसी सौहार्द न बने, ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर को लेकर फैसला आने के बाद मुस्लिमो को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि इसी सईद को यहां से भागना भी पड़ा था।